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Monday, 3 November, 2025
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ईडी ने अनिल अंबानी के खिलाफ धनशोधन मामले में 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की

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नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को कहा कि रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ धन शोधन जांच के तहत 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की गई है।

संघीय जांच एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 42 संपत्तियों को कुर्क करने के लिए 31 अक्टूबर को चार अनंतिम आदेश जारी किए थे। इन संपत्तियों में अंबानी (66) के परिवार का मुंबई के पाली हिल स्थित घर और उनके समूह की कंपनियों की अन्य आवासीय एवं वाणिज्यिक संपत्तियां शामिल हैं।

सोमवार को, ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आर-कॉम) से जुड़े कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में महाराष्ट्र के नवी मुंबई में धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (डीएकेसी) की 32 एकड़ ज़मीन को कुर्क करने का पांचवां आदेश जारी किया, जिसकी कीमत 4,462 करोड़ रुपये है।

बीते शुक्रवार के आदेशों के तहत, दिल्ली में महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर रिलायंस सेंटर के एक भूखंड के अलावा, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरआईएल) की कई अन्य संपत्तियां, आधार प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड, मोहनबीर हाई-टेक बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड, गेम्स इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, विहान43 रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड (पूर्व में कुंजबिहारी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी) और कैंपियन प्रॉपर्टीज लिमिटेड की संपत्तियां कुर्क की गई हैं।

ये संपत्तियां राष्ट्रीय राजधानी, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में स्थित हैं।

मुंबई में चर्चगेट की ‘नागिन महल’ बिल्डिंग में ऑफिस, नोएडा में बीएचए मिलेनियम अपार्टमेंट्स और हैदराबाद में कैमस कैप्री अपार्टमेंट्स उन संपत्तियों में से हैं, जिन्हें ईडी ने फिलहाल कुर्क किया है।

सूत्रों के अनुसार, कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य करीब 7,545 करोड़ रुपये है।

रिलायंस-इंफ्रा ने एक नियामक ‘फाइलिंग’ में कहा था कि कंपनी के कारोबार संचालन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारक पर कोई असर नहीं पड़ा है।

इसने यह भी कहा कि अनिल अंबानी 3.5 साल से ज़्यादा समय से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के बोर्ड में नहीं हैं।

वहीं, एजेंसी ने कहा कि ईडी ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह की विभिन्न कंपनियों द्वारा सरकारी पैसे का ‘‘धोखाधड़ी’’ से किये गए गलत इस्तेमाल का पता लगाया है। इन कंपनियों में आर-कॉम, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल), रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आर-इंफ्रा) और रिलायंस पावर लिमिटेड शामिल हैं।

ईडी के बयान में कहा गया है कि एजेंसी ने विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत ‘आर-इंफ्रा’ के खिलाफ एक अलग तलाश अभियान चलाया और पाया कि जयपुर-रींगस हाईवे परियोजना से 40 करोड़ रुपये ‘‘हड़प लिए गए’’ थे।

बयान के अनुसार, ‘‘पैसे सूरत की फर्जी कंपनियों के ज़रिए दुबई भेजे गए। इस जांच में 600 करोड़ रुपये से ज़्यादा का एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क सामने आया है।’’

एजेंसी ने आरोप लगाया कि लगभग 2010-12 से, आर-कॉम और उसकी समूह कंपनियों ने भारतीय बैंकों से हज़ारों करोड़ रुपये जुटाए, जिसमें से 19,694 करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं। ये संपत्तियां गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बन गईं, और पांच बैंकों ने आर-कॉम के ऋण खातों को फर्जी घोषित कर दिया।

एजेंसी ने कहा, ‘‘एक कंपनी द्वारा एक बैंक से लिए गए ऋण का इस्तेमाल दूसरी कंपनी द्वारा दूसरे बैंकों से लिए गए ऋण को चुकाने, संबंधित पक्षों को पैसे का अंतरण करने और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए किया गया, जो ऋण की शर्तों और नियमों के खिलाफ था।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘खास तौर पर, आर-कॉम और उसकी समूह कंपनियों ने ऋण को ‘एवरग्रीनिंग’ (किसी बैंक द्वारा ऐसे उधारकर्ता को नये या अतिरिक्त ऋण प्रदान करना, जो मौजूदा ऋण चुकाने में असमर्थ हो) करने में इस्तेमाल किए गए 13,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम को दूसरे मद में डाला, 12,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम संबद्ध पक्षों को भेजी गई और 1,800 करोड़ रुपये से ज़्यादा सावधि जमा (एफडी) और म्यूचुअल फंड वगैरह में निवेश किए गए।’’

एजेंसी ने दावा किया कि ऋण का कुछ हिस्सा भारत से बाहर ‘‘भेज दिया गया।’’

ईडी ने कहा कि यस बैंक ने 2017 से 2019 के दौरान आरएचएफएल में 2,965 करोड़ रुपये और आरसीएफएल में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

ईडी के अनुसार, दिसंबर 2019 तक ये निवेश ‘‘गैर-निष्पादित’’ निवेश में बदल गए, जिसमें आरएचएफएल पर 1,353.50 करोड़ रुपये और आरसीएफएल पर 1,984 करोड़ रुपये बकाया थे।

एजेंसी ने बताया कि आरएचएफएल और आरसीएफएल को 10,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का सार्वजनिक धन मिला था और इस धन का एक बड़ा हिस्सा यस बैंक से आया था।

एजेंसी ने कहा, ‘‘यस बैंक द्वारा यह पैसा रिलायंस अनिल अंबानी समूह की कंपनियों में निवेश करने से पहले, इसे रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड से बहुत ज़्यादा धन मिला था।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के अनुसार, रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड हितों के टकराव नियमों के कारण अनिल अंबानी समूह की फाइनेंस कंपनियों में सीधे निवेश नहीं कर सकता था।

ईडी ने कहा कि उसने इस मामले में ‘‘गलत इरादे का एक पैटर्न पाया है, जैसे कि पहले से तय लाभार्थी, जाली कागज़ात, नियंत्रण में ढील देना, और मंज़ूरी से पहले पैसे देना, जिसके बाद संबंधित कंपनियों को तेज़ी से पैसे अंतरित किए गए।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘इससे सरकारी धन का गबन हुआ।’’

ईडी ने कहा कि वह अपराध से अर्जित धन का पता लगाने की कोशिश कर रही है।

ईडी ने इस मामले में अगस्त में उद्योगपति से पूछताछ की थी।

यह पूछताछ 24 जुलाई को मुंबई में एजेंसी द्वारा 50 कंपनियों और उनके व्यावसायिक समूह के अधिकारियों समेत 25 लोगों के 35 परिसरों की तलाशी के बाद की गई थी।

निदेशालय का यह धनशोधन मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी से संबंधित है।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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