(लियोनोरा रिस्से, कैनबरा विश्वविद्यालय)
कैनबरा, तीन नवंबर (द कन्वरसेशन) ऑस्ट्रेलिया में लोग खाना पकाने, घर की साफ-सफाई और परिवार के सदस्यों की देखभाल जैसे अवैतनिक कार्यों में हर साल हजारों घंटे बिता देते हैं, जो अर्थव्यवस्था को बांधे रखने वाला एक अहम सूत्र है। लेकिन उन्हें आधिकारिक आर्थिक आंकड़ों में कोई मान्यता नहीं दी जाती।
मेरा नया अध्ययन अर्थव्यवस्था में इस अवैतनिक श्रम के योगदान पर प्रकाश डालता है, जिसे 688 अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास आंका गया है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है और इसमें अधिकांश योगदान महिलाओं का है।
——रोजाना औसतन 3 घंटे 56 मिनट घरेलू कामों में बीतते हैं——
राष्ट्रीय लेखा प्रणाली, जो यह बताती है कि दुनिया भर के देश “उत्पादन” को किस तरह परिभाषित करते हैं और अपनी अर्थव्यवस्था के आकार को कैसे मापते हैं, उन गतिविधियों तक सीमित है, जिनकी कीमत या मजदूरी निर्धारित होती है।
अवैतनिक काम और देखभाल इस आधिकारिक परिभाषा के दायरे से बाहर हैं।
‘इकोनॉमिक रिकॉर्ड’ पत्रिका में प्रकाशित मेरे नये अध्ययन में मैंने इस अवैतनिक श्रम की कीमत आंकने की कोशिश है। मैंने यह बताने का प्रयास किया है कि अगर हम इन कामों के लिए किसी सहायक की मदद लेते, तो हमें उसे प्रति घंटे की दर से कितना भुगतान करना पड़ता।
मैंने बच्चों की देखभाल में खर्च होने वाले प्रत्येक अवैतनिक घंटे की कीमत बाल देखभाल कार्यकर्ता के औसत प्रति घंटा वेतन के आधार पर आंकी। इसी तरह, घरेलू कामों में बिताए जाने वाले प्रत्येक घंटे की कीमत की गणना घरेलू सहायक के प्रति घंटे मेहनताने के आधार पर की।
ऑस्ट्रेलियाई सांख्यिकी ब्यूरो के ‘टाइम यूज सर्वे’ के दौरान जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अवैतनिक काम और देखभाल पर खर्च किए गए कुल समय में महिलाओं का ज्यादा योगदान (61.5 फीसदी) होता है।
आंकड़ों के मुताबिक, महिलाएं रोजाना औसतन 3 घंटे और 56 मिनट का समय अवैतनिक काम एवं देखभाल में बिता देती हैं, जो प्रति सप्ताह 771 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। वहीं, पुरुष अवैतनिक काम एवं देखभाल पर रोजाना औसतन 2 घंटे और 28 मिनट का समय खर्च करते हैं, जो प्रति सप्ताह 493 अमेरिकी डॉलर के बराबर है।
आबादी के हिसाब से देखें तो महिलाएं हर साल औसतन 427.3 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर अवैतनिक श्रम करती हैं, जबकि पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 261 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर है। फिर भी, इस महत्वपूर्ण काम को हमारे राष्ट्रीय आंकड़ों में कोई मान्यता नहीं दी जाती।
——अर्थव्यवस्था में महिलाओं का वास्तविक योगदान——
आइए कल्पना करें कि हम अपने राष्ट्रीय लेखा में एक और कॉलम जोड़ते हैं, जो इस अदृश्य श्रम की गणना करता है और इसे सवैतनिक श्रम के आंकड़े में जोड़ता है।
हम पाते हैं कि अर्थव्यवस्था में कुल श्रम योगदान में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 47.2 फीसदी हो जाती है, जबकि अगर हम केवल सवैतनिक काम को ही शामिल करें, तो यह आंकड़ा महज 36.8 प्रतिशत रहता है।
हालांकि, इस गणना पद्धति के साथ एक समस्या यह है कि अवैतनिक काम और देखभाल की कीमत आंकने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई ‘प्रॉक्सी जॉब’ (ऐसी भूमिकाएं, जिसमें कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की जगह काम करता है) महिला-केंद्रित हैं और लैंगिकता के आधार पर उनका कम मूल्यांकन किया गया है।
हम एचआईएलडीए सर्वेक्षण डेटा के जरिये वेतन का अनुमान लगाकर इस समस्या को दूर कर सकते हैं और यह माप सकते हैं कि लैंगिक आधार पर किस काम के लिए कम या ज्यादा भुगतान किया जाता है।
जब हम लैंगिक आधार पर महिलाओं को किए जाने वाले कम भुगतान को समायोजित करते हैं, तो कुल श्रम में महिलाओं का योगदान 50.5 प्रतिशत हो जाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो महिलाएं और पुरुष हमारी अर्थव्यवस्था में लगभग समान श्रम योगदान दे रहे हैं। लेकिन यह हमारी अर्थव्यवस्था को मापने के तरीके तथा वेतन, संपत्ति और संसाधनों पर नियंत्रण में मौजूद लैंगिक अंतर के कारण परिलक्षित नहीं होता।
(द कन्वरसेशन) पारुल नरेश
नरेश
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