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Monday, 3 November, 2025
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महाराष्ट्र: पुणे में तेंदुए का घातक हमला, वन विभाग ने ‘मार डालने’ का आदेश दिया

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पुणे, तीन नवंबर (भाषा) पुणे जिले में तेंदुए के हमले में 13 वर्षीय एक लड़के की मौत के बाद गुस्साए स्थानीय लोगों द्वारा वन विभाग के एक वाहन में आग लगा दिए जाने के एक दिन बाद अधिकारियों ने सोमवार को तेंदुए को पकड़ने और उसे ‘मार डालने’ का आदेश दिया।

वन अधिकारियों ने बताया कि इस कार्य के लिए क्षेत्र में पांच निशानेबाजों के एक दल को तैनात किया गया है।

जिले में तेंदुए के हमले की आशंका वाले जुन्नार, अम्बेगांव, शिरूर जैसे क्षेत्रों के लोगों ने सोमवार को पुणे-नासिक राजमार्ग पर अवसारी के पास ‘रास्ता रोको’ आंदोलन किया ताकि तेंदुओं द्वारा लगातार हमलों के खिलाफ अपना आक्रोश दिखा सकें।

पिछले एक महीने में शिरूर क्षेत्र में तेंदुए के हमलों में तीन लोगों की मौत होने से स्थानीय लोगों के बीच गुस्सा भड़क गया है और मानव-पशु संघर्ष की इन घटनाओं को रोकने के लिए वे प्रशासन से कोई निवारक कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

जुन्नार वन प्रभाग की सहायक वन संरक्षक स्मिता राजहंस ने कहा, ‘आज हम एक कैमरा ट्रैप अभ्यास कर रहे हैं। हाल ही में हुए घातक हमलों में शामिल तेंदुओं की पहचान करने के लिए ट्रैंकुलाइजिंग प्रक्रिया के दौरान पकड़े गए तेंदुओं से ‘स्वाब’ एकत्र किए जाएंगे। पीड़ितों से लिए गए स्वाब के साथ डीएनए मिलान के लिए नमूनों को प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा और यदि मिलान पाया जाता है तो विशेष तेंदुए को मार दिया जाएगा।’

उन्होंने कहा कि प्रधान वन संरक्षक ने ‘गोली चलाने के आदेश’ जारी कर दिए हैं।

उन्होंने कहा, ‘आज ट्रैंक्विलाइजिंग बंदूक और सामान्य बंदूकों से लैस ‘शार्पशूटरों’ (निशानेबाजों) का एक दल जाल बिछाएगा और तेंदुओं को पकड़ेगा। उन तेंदुओं को ‘स्वाब’ संग्रहण प्रक्रिया के लिए एक पुनर्वास केंद्र में रखा जाएगा।’

पिंपरखेड़ गांव में रविवार को एक तेंदुए ने रोहन बोंबे (13) को उस समय मार डाला, जब वह खेतों के पास खेल रहा था।

अधिकारियों ने बताया कि घटना के बाद गुस्साए स्थानीय लोगों ने वन विभाग की एक गश्ती वैन को आग लगा दी और क्षेत्र में तेंदुए-मानव संघर्ष की बार-बार हो रही घटनाओं के खिलाफ विभाग के आधार शिविर के बाहर प्रदर्शन किया।

भारतीय वन्यजीव संस्थान के अनुसार, पुणे के जुन्नार वन प्रभाग में प्रत्येक 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 6 से 7 तेंदुए हैं।

प्रचुर मात्रा में जलापूर्ति, कृषि में लगी मानव आबादी में वृद्धि तथा पालतू पशुओं की बढ़ती संख्या ने तेंदुओं के लिए इन कृषि भूमियों में निवास करने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया है।

भाषा सुमित मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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