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Friday, 31 October, 2025
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अदालत ने धर्मस्थल मामले में एसआईटी जांच पर 12 नवंबर तक अंतरिम रोक लगायी

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बेंगलुरु, 30 अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंदिर नगर धर्मस्थल में ‘कई हत्या, बलात्कार और दफनाने’ के आरोपों की विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच पर 12 नवंबर तक अंतरिम रोक लगाने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया।

न्यायमूर्ति मोहम्मद नवाज ने अंतरिम आदेश कार्यकर्ता गिरीश मत्तनवर, महेश थिम्मारोडी, जयंत टी और विट्ठल गौड़ा द्वारा दायर याचिका पर पारित किया। इन कार्यकर्ताओं ने पहले धर्मस्थल में कई हत्याओं और दफनाने का आरोप लगाते हुए पहली शिकायत दर्ज करने में पूर्व सफाई कर्मचारी सी एन चिन्नैया का समर्थन किया था।

चारों ने मामले के संबंध में धर्मस्थल पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने को अनुरोध करते हुए अदालत का रुख किया था।

विवाद तब उत्पन्न हो गया था जब एक शिकायतकर्ता ने दावा किया कि पिछले दो दशकों में धर्मस्थल में कई शव दफनाये गए जिनमें महिलाओं के शव भी शामिल थे। शिकायतकर्ता की पहचान बाद में चिन्नैया के रूप में हुई, जिसे झूठी गवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

याचिकाकर्ताओं ने चिन्नैया के आरोपों का समर्थन किया था। ये याचिकाकर्ता 2012 में एक कॉलेज छात्रा के बलात्कार और हत्या के लिए न्याय की मांग करने वाले आंदोलन में प्रमुख आवाजों में शामिल थे। हालांकि, जुलाई 2025 में चिन्नैया द्वारा एक मजिस्ट्रेट के सामने खोपड़ी पेश करने के बाद वे एसआईटी की जांच के दायरे में आ गए।

जांच दल को बाद में पता चला कि चिन्नैया ने खोपड़ी व्यक्तिगत रूप से नहीं खोदी थी और उसने चारों कार्यकर्ताओं को बार-बार सम्मन जारी किया, क्योंकि उन्हें संदेह था कि उन्हें पता था कि खोपड़ी कैसे मिली थी।

चौबीस अक्टूबर को दसवां समन मिलने के बाद, याचिकाकर्ताओं ने समन और प्राथमिकी दोनों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया। उनका प्रतिनिधित्व कर रहे वकील एस. बालन ने कहा कि याचिका में आरोपों के सार के बजाय एसआईटी द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं की वैधता पर सवाल उठाया गया है।

याचिका का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक बी एन जगदीश ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता कई हत्याओं, दफनाने के आरोपों की जांच की मांग में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं और उन्होंने कार्रवाई के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया था।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई तक एसआईटी को आगे की कार्रवाई करने से रोक दिया और निर्देश दिया कि इस बीच याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं किया जाए।

भाषा अमित रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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