नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के कृषि क्षेत्र को वर्ष 2047 तक 10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए अपने आर्थिक योगदान को लगभग 450 अरब डॉलर से दोगुना करके लगभग 1,000 अरब डॉलर करना होगा।
हालांकि, कृषि भारत के लगभग 46 प्रतिशत कार्यबल को रोजगार देती है, लेकिन इसका मूल्यवर्धन सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 15 प्रतिशत के अनुपातहीन रूप से कम है, जो नीतिगत सुधारों और निजी निवेश में वृद्धि की आवश्यकता को दर्शाता है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की कृषि पर उत्तरी क्षेत्रीय समिति के चेयरमैन अजय राणा ने यहां एक उद्योग शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘अगर हम 10,000 अरब डॉलर तक पहुंचना चाहते हैं, तो कृषि का हिस्सा लगभग 450 अरब डॉलर से बढ़कर 1,000 अरब डॉलर होना चाहिए।’’
भारतीय बीज उद्योग महासंघ के चेयरमैन राणा ने भारत में संकर मक्का को अपनाने की ओर इशारा किया, जो दो दशक पहले केवल 15-20 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत हो गया है। यह इस बात का प्रमाण है कि नीतिगत समर्थन मिलने पर तकनीक उत्पादकता को बढ़ा सकती है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि असंगत राज्य-स्तरीय नीतियाँ और फसल प्रौद्योगिकियों पर अस्थायी प्रतिबंध निवेश को बाधित कर रहे हैं।
सीआईआई द्वारा आयोजित और ‘‘कृषि में विकास को गति देने के लिए नीतिगत सुधार’’ शीर्षक वाले इस शिखर सम्मेलन में नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और वैज्ञानिकों ने सुधारों पर चर्चा की।
विशेषज्ञों ने केंद्र-राज्य नियमों में सामंजस्य स्थापित करने और बीजों एवं फसल सुरक्षा उत्पादों के लिए समयबद्ध अनुमोदन लागू करने को एक विज्ञान-आधारित नीति ढांचे और एक राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी परिषद के गठन का आह्वान किया।
भारतीय बीज उद्योग महासंघ के कार्यकारी निदेशक राघवन संपतकुमार ने सुधारों में तीन बाधाओं की पहचान की- सक्रियता का प्रभाव, अस्थायी रुकावटें और कानूनों की मनमानी व्याख्याएं।
संपतकुमार ने कहा, ‘‘विज्ञान को संवेदनाओं पर विजय प्राप्त करनी होगी। नीतिगत निर्णय सक्रियतावाद या बिना वैज्ञानिक आधार के अचानक राज्य-स्तरीय प्रतिबंधों से तय नहीं किए जा सकते।’’
उद्योग जगत के नेताओं ने कहा कि एक सुसंगत, विज्ञान-संचालित ढांचा एक दशक के भीतर कृषि-आदान क्षेत्र के वर्तमान 60 अरब डॉलर के मूल्यांकन को दोगुना कर सकता है और भारतीय कृषि को राष्ट्रीय विकास का 1,000 अरब डॉलर का स्तंभ बना सकता है।
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