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Friday, 22 November, 2024
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महात्मा गांधी की प्रिय ‘खादी’ की 2014 के बाद बाज़ार में बिक्री बढ़ी

2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खादी को अपनाने की आम जनता से की गई अपील इसे सुर्खियों में ले आई और बड़ी संख्या में लोग इसका समर्थन करने लगे.

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नई दिल्ली : बापू का प्रिय कपड़ा खादी मुख्यधारा में वापस आ गया है और कपड़ों के बाजार पर राज कर रहा है. बीच में एक दौर ऐसा भी था, जब खादी को भूला दिया गया था. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खादी को अपनाने की आम जनता से की गई अपील इसे सुर्खियों में ले आई और बड़ी संख्या में लोग इसका समर्थन करने लगे.

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा दो साल की प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, खादी की बिक्री और उत्पादन में 2014 के बाद से कई गुना वृद्धि हुई है, जब मोदी खुद महात्मा गांधी के प्रिय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आगे आ गए.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2012-13 में खादी के उत्पादन में वृद्धि 2011-12 की तुलना में 6.27 प्रतिशत अधिक हुई. 2013-14 में उत्पादन में 6.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 2014-15 में उत्पादन 8.49 प्रतिशत बढ़ा.

हालांकि, असली कहानी अगले साल शुरू हुई, जिसमें 21.09 प्रतिशत उत्पादन वृद्धि के साथ खादी वस्तुओं के उत्पादन में दोगुना से अधिक वृद्धि देखी गई. 2017 में उत्पादन में 31.77 प्रतिशत की वृद्धि अगले वर्ष तक जारी रही.

गांधी अक्सर खादी को ‘स्वतंत्रता का प्रतीक’ कहते थे.


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जब गांधी ने देश के विभिन्न हिस्सों में यात्रा की, तो उन्होंने न केवल जनता को संबोधित किया और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया, बल्कि उन्हें घर पर अपने कपड़े बुनने के लिए भी प्रेरित किया. इससे विशेष रूप से ग्रामीण भारत की महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए.

यहां तक कि कृषि क्षेत्र भी उनकी योजनाओं से लाभान्वित हुआ. किसानों ने कपास की खेती की, जिसे खादी निर्माताओं ने खरीदा, औद्योगिक क्रांति को एक नया स्वरूप और आकार मिला.

खादी को बढ़ावा देने के गांधी के मॉडल ने मोदी को इसे सुर्खियों में लाने में मदद की. प्रधानमंत्री ने खुद कपड़े के ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम किया. उनके मोदी जैकेट ने कई लोगों को कपड़े की ओर आकर्षित किया और यह भी एक वजह थी कि खादी की बिक्री में जबर्दस्त वृद्धि देखी गई.

हालांकि, समय के साथ-साथ चलते हुए, भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने सुनिश्चित किया कि खादी को आधुनिकीकरण का उचित हिस्सा मिले, जो 2004-2014 के दौरान हमेशा वंचित रहा.

दो साल की प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी खादी प्रतिष्ठान को 2004-2014 के दौरान आधुनिकीकरण के लिए धन मुहैया नहीं कराया गया, जिससे प्रतिष्ठानों की स्थिति खराब होने लगी. हालांकि 2014 के बाद से, 728 दुकानों ने आधुनिकीकरण के लिए पहले ही धन का हिस्सा प्राप्त कर लिया है.

2014 तक, ये प्रतिष्ठान कंप्यूटर से वंचित थे, इसके हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अपडेट के लिए 2004-2014 के दौरान वित्तीय मदद नहीं मिली थी, जबकि 2014 के बाद, 400 खादी प्रतिष्ठानों को इसके लिए वित्तीय मदद दी गई.

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