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Saturday, 11 October, 2025
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समुद्री खाद्य मांग को पूरा करने के लिए समुद्री कृषि उत्पादन बढ़ाने की जरूरत: सीएमएफआरआई

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कोच्चि, 11 अक्टूबर (भाषा) देश की तेजी से बढ़ती समुद्री खाद्य मांग को पूरा करने के लिए समुद्री कृषि उत्पादन को मौजूदा 1.5 लाख टन से बढ़ाकर 2047 तक 25 लाख टन करने की आवश्यकता है। केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) के निदेशक ग्रिंसन जॉर्ज ने शनिवार को यह बात कही।

उन्होंने कहा कि भारत के समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र में समुद्री कृषि अगली बड़ी घटना है।

सीएमएफआरआई ने एक बयान में जॉर्ज के हवाले से कहा कि समुद्री मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए केज (बाड़) कल्चर और एकीकृत बहुपोषी जलीय कृषि (आईएमटीए) जैसी विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।

वह सीएमएफआरआई में मत्स्य किसानों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (पीएमडीडीकेवाई) के राष्ट्रव्यापी शुभारंभ के अवसर पर आयोजित किया गया।

जॉर्ज ने आगे कहा कि भारत वर्तमान में समुद्री (कैप्चर) मत्स्य पालन से सालाना औसतन 35 लाख टन का उत्पादन करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी के कारण, देश को समुद्री मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए समुद्री कृषि जैसी वैकल्पिक प्रणालियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। बढ़ती समुद्री खाद्य मांग को पूरा करने के लिए 2047 तक कम से कम 25 लाख टन समुद्री कृषि उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है।’’

उन्होंने आगे कहा कि सीएमएफआरआई ने भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल कई समुद्री कृषि तकनीकें विकसित की हैं, जो उत्पादकता और मछुआरों की आजीविका के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में समुद्री शैवाल की खेती की अपार संभावनाएं हैं, जो समुद्री कृषि का एक अन्य प्रमुख घटक है।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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