नैनीताल, आठ अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सशस्त्र बलों के कर्मियों और उनके आश्रितों को शीघ्र न्याय सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से विशेष दिशानिर्देश जारी किए हैं।
दिशानिर्देश में राज्य की सभी अधीनस्थ अदालतों को ऐसे मामलों की पहचान करने और उनका प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने को कहा गया है।
दिशा निर्देशों का सख्ती से कार्यान्वयन सुनिश्चित कराने के लिए उच्च न्यायालय ने न्यायिक अधिकारियों को रक्षा कर्मियों से संबंधित कानूनी प्रावधानों पर प्रशिक्षण प्रदान किए जाने को कहा।
तत्काल प्रभाव से लागू होने वाली इस अधिसूचना में सभी अदालतों को पहले सशस्त्र बलों के सदस्यों से जुड़े लंबित मामलों की पहचान करने का निर्देश दिया गया है ।
न्यायालयों को निर्देश दिया गया है कि वे ऐसे मामलों की सुनवाई करते समय भारतीय सैनिक (मुकदमाबाजी) अधिनियम 1925, सेना अधिनियम, 1950, वायु सेना अधिनियम, 1950, नौसेना अधिनियम, 1950 तथा अन्य लागू कानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों का पालन करें।
दिशानिर्देशों के मुख्य बिंदुओं में कहा गया है कि अगर कार्यवाही के दौरान किसी रक्षाकर्मी की व्यक्तिगत उपस्थिति जरूरी हो तो न्यायालयों को अनावश्यक विलंब से बचने के लिए उनकी उपलब्धता के अनुसार सुनवाई तय करनी होगी ।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ऐसे मामलों में, जहां किसी सेवारत या सेवानिवृत्त रक्षाकर्मी की गिरफ्तारी या संपत्ति की कुर्की की मांग की जाती है, कमांडिंग ऑफिसर या जिला सैनिक बोर्ड को इसकी पूर्व सूचना देना अनिवार्य होगा ।
भाषा सं दीप्ति शोभना
शोभना
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