चंडीगढ़, आठ अक्टूबर (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी. आर. गवई को निशाना बनाने वाली आपत्तिजनक और अवैध सोशल मीडिया सामग्री पर सख्ती करते हुए, पंजाब पुलिस ने बुधवार को राज्य के विभिन्न जिलों में मिली अनेक शिकायतों के आधार पर 100 से अधिक सोशल मीडिया खातों के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की हैं।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को अदालती कार्यवाही के दौरान राकेश किशोर नामक 71 वर्षीय वकील ने सीजेआई की जूता उछालने की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसे रोक लिया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार वह वकील पिछले महीने खजुराहो में विष्णु प्रतिमा को पुनर्स्थापित करने से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान की गईं सीजेआई की टिप्पणी से नाराज था।
इस बीच पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश पर हमला उच्चतम न्यायालय और दलितों पर प्रहार है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर देश में “दलित विरोधी माहौल” बनाने का आरोप लगाया।
पंजाब पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि सीजेआई को निशाना बनाने से जुड़ीं सोशल मीडिया पोस्ट की जांच करने के बाद कानून के तहत प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि इन पोस्ट और वीडियो में घृणास्पद व जातिवादी टिप्पणियां थीं, जो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, न्यायपालिका के प्रति सम्मान कम करने और सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने की नीयत से साझा की गई थीं।
चीमा ने एक बयान में कहा कि मुख्य न्यायाधीश पर हमला सर्वोच्च न्यायालय, संविधान और दलितों पर हमला है।
उन्होंने कहा कि यह निंदनीय स्थिति, जहां सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकारी को निशाना बनाया गया है, भाजपा द्वारा अपने अनधिकृत सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से फैलाई जा रही दलित विरोधी नफरत का प्रत्यक्ष परिणाम है।
पिछले महीने, सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने खजुराहो के जावरी मंदिर (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) में सात फुट ऊंची विष्णु की मूर्ति को पुनर्स्थापित करने की याचिका खारिज कर दी थी।
सीजेआई ने याचिका को “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” करार देते हुए कहा था, “यह केवल चर्चा में आने के लिए दायर की गई याचिका है… अगर आप भगवान विष्णु के इतने ही बड़े भक्त हैं, तो प्रार्थना करें, ध्यान लगाएं, और उन्हीं से समाधान मांगें।”
भाषा जोहेब प्रशांत
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