तिनसुकिया, आठ अक्टूबर (भाषा) असम के तिनसुकिया शहर में चाय जनजाति के हजारों श्रमिकों ने अपनी ‘‘सामाजिक-आर्थिक चिंताओं’’ को रेखांकित करते हुए इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर बुधवार को एक रैली निकाली।
इस प्रदर्शन का समन्वय असम चाय मजदूर संघ (एसीएमएस), असम चाय जनजाति छात्र संस्था (एसीजेसीएस), आदिवासी छात्र संघ (एएसए), विभिन्न महिला समूहों सहित विभिन्न संगठनों द्वारा किया गया।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा इस समय तिनसुकिया जिले के दौरे पर हैं।
एसीएमएस सचिव (पानीटोला शाखा) एवं पूर्व विधायक राजू साहू ने कहा, ‘‘अगर सरकार एसटी का दर्जा देने और दैनिक मजदूरी में बढ़ोतरी करके आर्थिक स्थिति में सुधार की हमारी मांगों को पूरा करने में विफल रहती है तो न केवल आंदोलन जारी रहेगा, बल्कि और तेज हो जाएगा।’’
उन्होंने एक दशक पहले किए गए वादों को ‘‘पूरा न करने’’ के लिए भाजपा सरकार की आलोचना की, जिसमें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देना, मजदूरी बढ़ाना और जमीन के दस्तावेज प्रदान करना शामिल था।
साहू ने चाय बागानों के मजदूरों के समक्ष आने वाली व्यापक चुनौतियों का भी उल्लेख किया। इन चुनौतियों में कई चाय बागानों की बिक्री, बागानों के स्कूलों में कर्मचारियों की कमी और अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बढ़ती कीमतों के कारण ज्यादातर मजदूरों के लिए पौष्टिक खाना लेना मुश्किल हो गया है, जिससे कई लोग कमजोर हो गए हैं। सरकार को इन मुद्दों का तुरंत समाधान करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को इन समस्याओं को तुरंत सुलझाना चाहिए।’’
रैली तिनसुकिया शहर के कई स्थानों से शुरू हुई और थाना चरियाली में समाप्त हुई।
प्रदर्शनकारी इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता दिये जाने, भूमि पट्टे जारी करने और दैनिक मजदूरी में वृद्धि की मांग संबंधी नारे लिखी तख्तियां और बैनर ले रखे थे।
आयोजकों ने कहा कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक था, जिसका उद्देश्य ‘‘दशकों की उपेक्षा’’ की ओर ध्यान आकृष्ट करना और चाय बागान श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक अधिकारों को संरक्षित रखना था।
भाषा तान्या सुरेश
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