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Monday, 17 November, 2025
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बीएमसी ने करीब दो लाख लोगों को आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया

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(अनिल भट्ट)

मुंबई, आठ अक्टूबर (भाषा) देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के नगर निकाय ने 6.9 तीव्रता के भूकंप और सुनामी के संभावित खतरे सहित किसी भी आपदा से निपटने के लिए दो लाख से अधिक नागरिकों को प्रशिक्षित किया है तथा वास्तविक समय प्रतिक्रिया क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अपने निगरानी नेटवर्क में कृत्रिम मेधा (एआई) को एकीकृत करके अपनी तैयारी पुख्ता की है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) विभिन्न खतरों के जोखिम का मूल्यांकन कर रहा है क्योंकि मुंबई को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा चिह्नित 21 से 22 संभावित खतरों का सामना करना पड़ रहा है।

आपदा प्रबंधन विभाग की मुख्य अधिकारी रश्मि लोखंडे ने कहा कि बीएमसी आपदा प्रबंधन की मूल बातें, प्राथमिक उपचार और खोज एवं बचाव कार्यों पर लोगों को साल भर प्रशिक्षण देती रही है।

लोखंडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मुंबई में आपदा के खतरे को देखते हुए हम नागरिकों को लगातार प्रशिक्षण दे रहे हैं। अब तक दो लाख से ज्यादा लोगों को आपदा प्रतिक्रिया का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।’’

उन्होंने बताया कि अपने डिजिटल बदलाव के तहत बीएमसी ने 500 सीसीटीवी कैमरों की पहचान की है, जिन्हें कृत्रिम मेधा (एआई)और मशीन लर्निंग सिस्टम के साथ अद्यतन किया जाएगा, ताकि आग लगने, इमारत गिरने या पानी की पाइपलाइन फटने जैसी घटनाओं का स्वचालित रूप से पता लगाया जा सके और नियंत्रण कक्ष को तुरंत सतर्क किया जा सके।

लोखंडे ने कहा, ‘‘एनडीएमए द्वारा 20 से अधिक प्रकार के खतरों की पहचान की गई जो मुंबई पर मंडरा रहे हैं। यह शहर भूकंप जोन-3 में आता है, जहां 6.9 तीव्रता तक के झटके आने की आशंका है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई सौभाग्य से अब तक बड़ी आपदाओं से बचा रहा है, लेकिन हमें चक्रवात, भूकंप और बाढ़ जैसी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए।’’

लोखंडे ने कहा कि जापान के आपदा-तैयारी मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, बीएमसी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि मुंबईवासी आपात स्थिति के दौरान प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहें।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी आपदा में, नागरिक सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले होते हैं, और उनकी तैयारी बेहद जरूरी है। हमारा ध्यान रोकथाम पर है, जिससे प्रतिक्रिया, राहत और पुनर्वास की जरूरत कम हो सकती है।’’

अधिकारी ने बताया कि आपदा शिक्षा को संस्थागत बनाने के लिए, बीएमसी ने परेल में सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (सीआईडीएम) की स्थापना की है, जिससे मुंबई भारत का पहला शहरी स्थानीय निकाय बन गया है जिसके पास ऐसी सुविधा है।

लोखंडे ने बताया, ‘‘सीआईडीएम में एक 3डी सभागार है, जिसमें भूकंप, चक्रवात और सुनामी पर फिल्में दिखाई जाती हैं, तथा एक ‘इंटरैक्टिव गैलरी’ है, जो आगंतुकों, विशेषकर स्कूली बच्चों और कॉरपोरेट समूहों को आपदा संबंधी घटनाओं और सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करती है।’’

उन्होंने बताया कि स्कूली छात्रों, श्रमिकों और बीएमसी कर्मचारियों को निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जबकि बाहरी प्रतिभागी मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा प्रमाणित आपदा प्रबंधन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम में नामांकन ले सकते हैं।

लोखंडे ने कहा, ‘‘बीएमसी ने सुरक्षित क्षेत्रों, निकासी योजनाओं, स्वयंसेवी टीम और क्षेत्रवार समन्वय तंत्र का विवरण देते हुए एक व्यापक आपदा प्रतिक्रिया मैनुअल भी विकसित किया है।’’

उन्होंने कहा कि 1.5 करोड़ की आबादी और दिन के समय 70 लाख से अधिक लोगों की अतिरिक्त अस्थायी आबादी के साथ, मुंबई को बड़े पैमाने पर आपात स्थितियों के दौरान निकासी और प्रतिक्रिया में अद्वितीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

अधिकारी ने बताया कि 500 सीसीटीवी ​​कैमरों को एआई से जोड़ने की शुरुआती परियोजना की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाएगा, उसके बाद ही शहर निगरानी कार्यक्रम के तहत शहर के 12,000 से अधिक निगरानी कैमरों के पूरे नेटवर्क में एआई-सक्षम प्रणाली का विस्तार किया जाएगा।

भाषा धीरज शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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