नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने लेखिका अरुंधति रॉय की आलोचना करते हुए मंगलवार को कहा कि उनकी टिप्पणी ‘‘नफरत फैलाने वाले भाषण का सटीक उदाहरण’’ है।
कुलपति ने विश्वविद्यालय के विधि संकाय में आयोजित ‘भारत में घृणास्पद भाषण और चुनावी राजनीति’ विषय पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया।
अरुंधति रॉय से प्रतिक्रिया के लिए संपर्क नहीं हो सका।
रॉय के एक पुराने वीडियो का हवाला देते हुए सिंह ने रॉय के शब्द दोहराए कि, ‘‘भारत देश, जिस क्षण वह एक संप्रभु राष्ट्र बना, जिस क्षण उसने उपनिवेशवाद की जंजीरों को तोड़ा, उसी पल वह स्वयं एक औपनिवेशिक राष्ट्र बन गया — और 1947 से अब तक उसने कश्मीर, मणिपुर, नगालैंड, तेलंगाना, पंजाब, गोवा और हैदराबाद में युद्ध छेड़े हैं। यदि आप गौर करें तो यह एक ऐसा राज्य प्रतीत होता है जो लगातार, और सैन्य रूप से, युद्ध की स्थिति में रहा है।”
सिंह ने रॉय के हवाले से कहा, ‘‘अपने ही लोगों के खिलाफ सेना तैनात करना, पाकिस्तान ने अपने नागरिकों के खिलाफ उस तरह सेना नहीं उतारी, जैसी लोकतांत्रिक भारत ने की है। अगर आप देखें कि भारत ने किन-किन समुदायों से लड़ाई लड़ी, तो पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में वे आदिवासी थे; कश्मीर में मुसलमान; तेलंगाना में आदिवासी; हैदराबाद में मुसलमान; गोवा में ईसाई; और पंजाब में सिख। इस तरह आप देख सकते हैं कि यह तथाकथित ‘उच्च जाति हिंदू राष्ट्र’ लगातार अपने ही लोगों से युद्ध की स्थिति में रहा है।”
सिंह ने इसे नफ़रत फैलाने वाला भाषण बताया। कुलपति ने कहा, “यह नफरत फैलाने वाले भाषण की शुद्ध परिभाषा है और अरुंधति रॉय और सभी बुद्धिजीवियों को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए।”
भाषा
शोभना प्रशांत
प्रशांत
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