नई दिल्ली: पी. रामा राव ने तिरुपति मंदिर से सुबह की प्रार्थना और ठहरने की व्यवस्था कराने और सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से प्रवेश लेने के लिए संपर्क करते समय खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का अधिकारी बताया. अब यह ठग फरार है.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली निवासी राव के खिलाफ पीएमओ की तीन शिकायतों के आधार पर मामला दर्ज किया है.
राव पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4) (धोखाधड़ी जो किसी की कानूनी हित की हानि करती है), 319(2) (प्रतिरूपण), 336(3) (धोखे की नीयत से फर्जीवाड़ा), 340(2) (जन या किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए डिजिटल दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का फर्जीवाड़ा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-D (कंप्यूटर संसाधनों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
प्रतिरूपण की ये घटनाएं पहली बार जुलाई में पीएमओ के पत्र के माध्यम से CBI के संज्ञान में आईं. राव ने खुद को पीएमओ में डिप्टी सेक्रेटरी बताया और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिखा.
1 मई को राव ने पीएमओ का फर्जी लेटरहेड बनाकर TTD को पत्र भेजा, जिसमें 10 मई को सुप्रभातम दर्शन और मई में अपने और अपने नौ परिवार सदस्यों के लिए तीन रातों के लिए तीन एसी डबल बेडरूम की व्यवस्था मांगी.
एक शिकायत एजेंसी के पास लंबित थी, जबकि पीएमओ ने एक अन्य मामले का विवरण भी CBI को दिया. इसमें राव ने सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय के प्रो वाइस-चांसलर को पीएमओ के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी बनकर फोन किया.
29 अगस्त को पीएमओ ने CBI को तीसरा पत्र भेजकर बताया कि राव ने कर्नाटक के मैसूर जिले के तहसीलदार से जमीन संबंधी दस्तावेज मांगने के लिए अलग नाम का इस्तेमाल किया, लेकिन पीएमओ में संयुक्त सचिव की रैंक और वही फोन नंबर रखा.
पीएमओ के सहायक निदेशक स्तर के अधिकारी ने अंतिम पत्र में लिखा, “प्राथमिक तौर पर यह पीएमओ के अधिकारी बनकर लगातार प्रतिरूपण और पीएमओ के नाम के दुरुपयोग का मामला प्रतीत होता है. अनुरोध है कि CBI इस मामले की जांच शीघ्रता से करे और उठाए गए कदमों की जानकारी इस कार्यालय को दी जाए.”
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