नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को इस बात पर जोर दिया कि उपमहाद्वीप में किसी भी संकट के लिए भारत को ही भरोसेमंद विकल्प होना चाहिए।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में ‘भारत और विश्व व्यवस्था: 2047 की तैयारी’ विषय पर अरावली शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री ने कहा कि राजनीतिक अस्थिरता के परिदृश्य में भारत को स्वयं ‘‘सहयोग के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘यह पड़ोस पहले नीति का सार है। इस उपमहाद्वीप में किसी भी संकट के समय भारत को ही भरोसेमंद विकल्प होना चाहिए।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘विभाजन के परिणामस्वरूप भारत की रणनीतिक गिरावट को दूर करना होगा।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि विश्व में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और सहयोग के वादे से ध्यान हट रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह हर चीज के शस्त्रीकरण से प्रेरित है। सभी राष्ट्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। भारत को ऐसी अस्थिरता के बीच रणनीति बनानी होगी और आगे बढ़ना जारी रखना होगा। चुनौती इस जटिल परिदृश्य को समझने की है।’’
जेएनयू के पूर्व छात्र ने वैश्विक व्यवस्था को निरंतर आगे बढ़ाने के साथ-साथ राष्ट्र के हितों की रक्षा पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के दृष्टिकोण से, मांग और जनसांख्यिकी की प्रेरक शक्तियां इसके उत्थान को गति प्रदान करेंगी। हमें 2047 की यात्रा के लिए विचार, शब्दावली और विमर्श तैयार करने होंगे।’’
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