भोपाल/तिरुवनंतपुरम, छह अक्टूबर (भाषा) मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से 14 बच्चों की मौत के बाद कई राज्यों ने सोमवार को इसकी खपत और आपूर्ति को रोकने के लिए कार्रवाई तेज कर दी। सरकार ने तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया और औषधि नियंत्रक का तबादला कर दिया।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक महीने में 14 बच्चों की गुर्दे की खराबी के कारण हुई मौत की बात सामने आई है।
तमिलनाडु में निर्मित कफ सिरप में अत्यधिक जहरीले पदार्थ डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) की खतरनाक मिलावट पाई गई।
इन मौतों के कारण राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य अलर्ट जारी किया गया, जिसके परिणामस्वरूप मध्य प्रदेश में अधिकारियों को निलंबित किया गया, गिरफ्तारियां की गईं, देश भर में स्टॉक जब्त किया गया, तथा केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में दवा संबंधी दिशानिर्देशों में तत्काल कड़े बदलाव किए गए।
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के नेतृत्व वाले केरल स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश में कहा कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को डॉक्टर के पर्चे के बिना कोई दवा नहीं दी जानी चाहिए।
कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य सेवा संस्थानों को परामर्श जारी किया है कि वे दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी और जुकाम की दवा न दें।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, डीईजी एक अत्यधिक विषैला औद्योगिक रसायन है और इसका उपयोग प्रोपिलीन ग्लाइकॉल (पीजी) या ग्लिसरीन (जिसे ग्लिसरॉल भी कहा जाता है) जैसे वैध दवा विलायकों के सस्ते, किन्तु अत्यधिक विषैले विकल्प के रूप में किया जाता है।
निर्माता, विशेष रूप से खांसी की दवाइयों में, लागत कम करने के लिए धोखे से या गलती से, विषैले तत्व के स्थान पर सुरक्षित तत्व का प्रयोग कर देते हैं।
अधिकारियों ने पुष्टि की कि श्रीसन फार्मास्युटिकल, कांचीपुरम (तमिलनाडु) द्वारा निर्मित दवा के नमूनों में 48 प्रतिशत से अधिक डीईजी पाया गया।
इस त्रासदी के बाद, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य के औषधि प्रशासन में बड़े बदलाव का आदेश दिया और दो औषधि निरीक्षकों गौरव शर्मा व शरद कुमार जैन तथा खाद्य एवं औषधि प्रशासन के उप निदेशक शोभित कोस्टा को निलंबित कर दिया।
पुलिस द्वारा कथित लापरवाही के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने और छिंदवाड़ा के डॉ. प्रवीण सोनी को गिरफ्तार करने के बाद राज्य औषधि नियंत्रक दिनेश मौर्य का तबादला कर दिया गया। तमिलनाडु स्थित कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
राज्य भर में इस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, तथा मुख्यमंत्री ने दुकानों से शेष सभी स्टॉक को जब्त करने तथा छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों के परिवारों से दवा को वापस लेने के लिए व्यापक अभियान चलाने का निर्देश दिया है।
यादव ने कानूनी प्रावधान का हवाला देते हुए इस बात पर भी जोर दिया कि चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों को संयोजन वाली दवाएं नहीं दी जानी चाहिए, तथा उन्होंने इसका उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया।
यादव ने बाद में परासिया का दौरा किया और मृतक बच्चों के परिजनों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों की दुखद मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पुलिस ने मौतों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है, जिसमें मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के दो बच्चों की भी मौत होने की खबर है। छिंदवाड़ा के आठ बच्चों का फिलहाल नागपुर के अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी ने स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला (जो उपमुख्यमंत्री भी हैं) को तत्काल हटाने की मांग की, उन्होंने एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई को “आंखों में धूल झोंकने वाला” और वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने का कदम बताया।
पटवारी ने कहा कि डॉक्टर कोई प्रयोगशाला नहीं है और दवा की विषाक्त सामग्री के लिए केवल उसे ही दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शुक्ला पर आरोप लगाया कि उन्होंने जांच जारी रहने के बावजूद दवा निर्माता को “क्लीन चिट” दे दी है। उन्होंने पूरे प्रकरण को एक बहुत बड़ा घोटाला करार दिया।
सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “राज्य सरकार की इस बड़ी गलती का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा।”
नकली कफ सिरप को लेकर डर तेजी से फैला, जिसके कारण देशभर में एहतियाती कदम उठाए गए। मंत्री वीना जॉर्ज के नेतृत्व में केरल के स्वास्थ्य विभाग ने आदेश दिया कि 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डॉक्टर की पर्ची के बिना कोई दवा नहीं दी जानी चाहिए।
केरल स्वास्थ्य विभाग ने सख्त क्रियान्वयन का आह्वान किया है और इस बात पर जोर दिया है कि पुराने नुस्खे भी अमान्य हैं।
खांसी की दवा के इस्तेमाल का अध्ययन करने और नए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। कोल्ड्रिफ सिरप के समस्याग्रस्त बैच की बिक्री तुरंत रोक दी गई, हालांकि अधिकारियों ने पुष्टि की कि वह बैच केरल में वितरित नहीं किया गया था।
कर्नाटक में, स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने चेतावनी जारी करते हुए अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राज्य में “घटिया” सिरप तो नहीं बेचा जा रहा है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कर्नाटक में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है, लेकिन एहतियातन जांच के लिए सभी कफ सिरप ब्रांडों के नमूने एकत्र किए जा रहे हैं।
तेलंगाना सरकार ने सभी जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे जनता को विषाक्त सिरप के बारे में जागरूक करें तथा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों और सामान्यतः पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवा देने के विरुद्ध केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के परामर्श को सख्ती से लागू करें।
दूषित सिरप का यह बैच कथित तौर पर तमिलनाडु, ओडिशा, मध्य प्रदेश और पुडुचेरी में वितरित किया गया था।
तमिलनाडु सरकार, जहां विनिर्माण इकाई (श्रीसन फार्मास्युटिकल, कांचीपुरम) स्थित है, ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में इसी तरह की मौतों की रिपोर्ट मिलने के बाद कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था।
तमिलनाडु औषधि नियंत्रक द्वारा यह निष्कर्ष निकाला जाना कि नमूने में डीईजी की “मिलावट” थी, राज्यव्यापी प्रतिबंध का आधार बना।
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएमएचओ) और सिविल सर्जनों को केंद्र के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने के तत्काल निर्देश जारी किए हैं।
महाराष्ट्र में, एफडीए ने जनता और दवा विक्रेताओं से कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री या उपयोग को तुरंत रोकने की अपील की है, तथा निकटतम औषधि नियंत्रण प्राधिकरण को तत्काल इसकी सूचना देने का आग्रह किया है।
भाषा सं ब्रजेन्द्र प्रशांत माधव
माधव
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