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Wednesday, 1 October, 2025
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मैसूरु दशहरा उत्सव समाप्ति की ओर, भव्य विजयादशमी जुलूस की तैयारियां पूरी

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मैसुरु, एक अक्टूबर (भाषा)महलों के शहर मैसुरु में बृहस्पतिवार को भव्य विजयादशमी जुलूस निकाला जाएगा, जो 11 दिवसीय प्रतिष्ठित ‘मैसुरु दशहरा’ समारोह के समापन का प्रतीक होगा।

‘नाडा हब्बा’ (राज्य उत्सव) के रूप में मनाया जाने वाला मैसुरु दशहरा या ‘शरणा नवरात्रि’ उत्सव में इस साल कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को शाही धूमधाम और गौरव के साथ प्रदर्शित किया गया।

हजारों लोगों के ‘जंबू सवारी’ देखने के लिए जुटने की उम्मीद है। ‘अभिमन्यु’ नाम के हाथी के नेतृत्व में एक दर्जन सजे-धजे हाथियों की शोभा यात्रा निकलेगी। अभिमन्यु की पीठ पर मैसुरु की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी का विग्रह 750 किलोग्राम के स्वर्णिम हौदा या ‘अंबरी’ में स्थापित किया जाएगा।

भव्य शोभायात्रा की शुरुआत मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा अपराह्न एक बजे से 1.18 बजे के बीच शुभ ‘धनुर लग्न’ के दौरान राजसी अम्बा विलास पैलेस के बलराम द्वार पर नंदी ध्वज की पूजा के साथ होगी।

कर्नाटक की विरासत को दर्शाने वाले विभिन्न जिलों के सांस्कृतिक समूहों और झांकियों से युक्त यह शोभायात्रा लगभग पांच किलोमीटर की दूरी तय करके बन्नीमंतपा पहुंचेगी। सरकारी विभागों की योजनाओं, कार्यक्रमों और सामाजिक संदेशों को दर्शाती झांकियां भी इसमें शामिल होंगी। शोभायात्रा शुरू होने से कई घंटे पहले ही रास्ते में भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री और पूर्व मैसुरु राजघराने के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार सहित गणमान्य व्यक्ति शाम 4.42 बजे से 5.06 बजे के बीच शुभ ‘कुंभ लग्न’ में देवी चामुंडेश्वरी के विग्रह पर पुष्प वर्षा कर शोभायात्रा को रवाना करेंगे।

‘कुमकी’ हाथियों के साथ अभिमन्यु के आगमन पर इक्कीस तोपों की सलामी दी जाएगी और गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से स्थापित मंच से पुष्प अर्पित करेंगे।

विजयादशमी पर दशहरा शोभायात्रा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से, राजा अपने भाई और भतीजे के साथ हौदे में सवार होते थे, श्री जयचामाराजेंद्र वाडियार मैसूर के अंतिम शाही राजा थे जिन्होंने ऐसा किया। आज भी यह परंपरा जारी है लेकिकन अकबक देवी चामुंडेश्वरी का विग्रह 750 किलोग्रह के हौदा में ले जाया जाता है। यह हौदा लकड़ी का है जिसपर करीब 80 किलोग्राम सोने की परत चढ़ी है।

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने शोभायात्रा के लिए सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के व्यापक प्रबंध किए हैं।

महल में परंपरा को बनाए रखते हुए यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वाडियार शाही पोशाक में, अंबा विलास पैलेस से परिसर के भीतर भुवनेश्वरी देवी मंदिर तक ‘विजया यात्रा’ का नेतृत्व करेंगे, जहां वह बृहस्पतिवार को ‘शमी’ वृक्ष की विशेष पूजा करेंगे।

वाडियार ने बुधवार को ‘आयुध पूजा’ की, जो पूर्ववर्ती राजपरिवार के हथियारों, वाहनों और हाथियों, घोड़ों और गायों सहित पशुओं के सम्मान में की जाने वाली एक रस्म है।

उत्सव के तहत ‘वज्रमुष्टि कलागा’ – पहलवानों (जेट्टी) के बीच द्वंद्वयुद्ध का आयोजन महल में किया जाएगा, जिसमें राज्य भर से प्रतिभागी भाग लेंगे।

दस दिनों के दशहरा उत्सव के दौरान मैसुरु के महल, प्रमुख सड़कें, चौक और इमारतें रोशनी से सजी रहती हैं और रोशनी के इस उत्सव को ‘दीपलंकारा’ कहा जाता है। विभिन्न स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ खाद्य मेला, पुष्प प्रदर्शनी, किसान दशहरा, महिला दशहरा, युवा दशहरा, बाल दशहरा और कविता पाठ जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

बुधवार को आयोजित दशहरा एयर शो में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। वहीं, बृहस्पतिवार शाम बन्नीमंतप मैदान में मशाल परेड में राज्यपाल थावरचंद गहलोत मुख्य अतिथि होंगे।

महल में नवरात्रि समारोह के तहत दैनिक अनुष्ठान होते हैं, जिसमें वाडियार वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्वर्ण सिंहासन पर बैठकर ‘खासगी दरबार’ (निजी दरबार) लगाते हैं।

विजयनगर शासकों ने दशहरा मनाने की परंपरा शुरू की थी जो मैसुरु के वाडियारों को विरासत में मिली। सन् 1610 में राजा वाडियार प्रथम द्वारा मैसुरु में शुरू किया गया यह उत्सव 1971 में प्रिवी पर्स की समाप्ति के बाद एक निजी समारोह बन गया। यह परंपरा 1975 तक एक साधारण आयोजन के रूप में जारी रही जब तत्कालीन डी. देवराज उर्स सरकार ने इसे राज्य उत्सव के तौर पर भव्य रूप से मनाने की शुरुआत की।

भाषा धीरज नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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