भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के मामले से योगी सरकार यह सीख ले सकती थी कि राजनीतिक रूप से शक्तिशाली लोगों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की निष्पक्ष जांच तेजी से कर सकती हैं. लेकिन, यह चिन्मयानंद के मामले में दिखाई नहीं दिया. चिन्मयानंद की शिकायत के आधार पर ‘पीड़ित’ को गिरफ्तार करना सरकार की विश्वसनीयता को घटाता है.