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Thursday, 19 December, 2024
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अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक मसले बरकरार, घरेलू दबाव में फंसे ट्रंप और मोदी

अमेरिका और भारत व्यापार समझौतों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी पैकेज की घोषणा करने में विफल रहे हैं.

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नई दिल्ली: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मंगलवार को न्यूयॉर्क में हुई बहुप्रतीक्षित व्यापार मामले की द्विपक्षीय बैठक विफल रही. हालांकि दोनों पक्षों ने इसे एक साथ मुकाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की थी.

कई सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ‘अमेरिका वार्ताकारों पर उनके भारतीय समकक्षों के सामने कई मांगे रखीं जिससे भारतीयों की चिंता बढ़ी जिसकी वजह से भारतीय उद्योग, कृषि क्षेत्र और कई अन्य क्षेत्रों पर दवाब बनाया जिसकी वजह से यह वार्ता फेल हुई.’ हालांकि दोनों तरफ से इस मामले में पानी फिर गया है.

सूत्रों ने बताया भारतीय उद्योग और किसान लॉबी नहीं चाहते हैं कि अमेरिकी कृषि उत्पादों या अन्य वस्तुओं पर टैरिफ कम करने के मामले में मोदी अमेरिका को बहुत कुछ दें.

उन्होंने कहा कि आरएसएस से जुड़े निकाय जैसे भारतीय किसान संघ और भारतीय मजदूर संघ एक सौदे के पक्ष में नहीं हैं. ये समूह क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीइपी) व्यापार समझौते का भी विरोध करते हैं जिसमें भारत भी एक पक्ष है.

ट्रंप के साथ अपनी बैठक के बाद, मोदी ने ट्वीट किया कि व्यापार संबंधों में सुधार के लिए अभी भी बातचीत चल रही थी.

‘राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बहुत अच्छी मुलाकात हुई. व्यापार रिश्तों में सुधार के साथ ही हमने कई विषयों पर बात की. हमलोगों का लगातार मिलना भारत और अमेरिका के रिश्तों के लिए बेहतर है.’

 

दक्षिण और मध्य एशिया की पूर्व सहायक सचिव और अब यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल की अध्यक्ष निशा बिस्वाल ने ट्वीट किया, ‘अमेरिकी और भारतीय वार्ताकार अभी भी व्यापार पर कोई भी छोटे समझौते नहीं करने जा रहे हैं, लेकिन वह मुद्दों के माध्यम से बात करना जारी रखेंगे.

‘बीते 12-18 महीनों में व्यापार पर बातचीत नहीं होने कि बड़ी वजह भारत में हुए चुनाव रही वहीं अब अमेरिका का चुनाव सामने खड़ा है. अब यही समय है जब हम व्यापारिक मुद्दों को सुलझाएं और व्यापारिक मुद्दों पर मुहर लगाएं.’

हालांकि, अभी भी भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और न्यूयॉर्क में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) रॉबर्ट लाइटहाइज़र के बीच चल रही चर्चा जारी है लेकिन यह व्यापार समझौते में कोई हल निकल कर सामने नहीं आया है. गोयल के इस सप्ताह के अंत तक न्यूयॉर्क में रहने की उम्मीद है. पीयूष गोयल की अमेरिका यात्रा काफी गुपचुप तरीके से हुई यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री द्वारा उन्हें दुबई से सीधे अमेरिका में उड़ान भरने के लिए कहा गया, जहां वह दुबईएक्सपो 2020 में भाग ले रहे थे.

सूत्रों ने यह भी कहा कि अमेरिका ने द्विपक्षीय वार्ता के दौरान अंतिम क्षणों में बहुत सी मांगे की, विशेष रूप से कृषि वस्तुओं और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उत्पादों पर शुल्क कम करने के संदर्भ में, जिसको सरकार के लिए पूरा करना बहुत ही मुश्किल काम है.

एशिया कार्यक्रम के उप-निदेशक और वाशिंगटन स्थित थिंकटैंक विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया के लिए वरिष्ठ सहयोगी माइकल कुगेलमैन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अभी भी एक सौदे की गुंजाईश है. लेकिन, अगर कोई सौदा होता है, तो यह संभवतः वह समझौता नहीं होगा जिसकी उम्मीद की गई थी और सौदे में हुई परेशानी को देखते हुए यह पूरी तरह से आश्चर्यजनक नहीं होगा.’

अमेरिकी आखिरी समय में कई मांगों के साथ आए

सूत्र जो इस तरह के व्यापारिक समझौतों से परिचित रहे हैं उन्होंने कहा कि अमेरिकी कैंप आखिरी समय में अपनी कई मांगो के साथ सामने आए. विशेषकर कृषि आधारित सामानों और सूचना तथा कम्यूनिकेशन तकनीक के उत्पादों की दरों को कम करने की मांग के साथ. बता दें कि मोदी सरकार में इस तरह की मांगों को पूरा करना एक मुश्किल काम है.
भारत अमेरिका की उन मांगों को नहीं मान पाएगा जिसमें उन्होंने मेडिकल उपकरणों पर भी कैप लगाने की बात की गई है.

जेएनयू और आईआईएफटी में डब्ल्यूटीओ के अध्ययन के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने कहा, ‘बहुत सारे विवादित मुद्दे हैं, जिन्हें मुक्त व्यापार समझौते के लिए वार्ता शुरू करने से पहले हल किया जाना था. इन मुद्दों को सौहार्दपूर्वक हल करने की आवश्यकता है.

ओबामा प्रशासन में दक्षिण एशिया के पूर्व राज्य सहायक सचिव एलिसा आइरेस ने कहा, ‘मुझे हमेशा संदेह रहा है इस मुद्दे को हल करना मुश्किल है मुझे लगता है कि अभी भी बहुत कुछ बना हुआ है, जो चुनौतीपूर्ण है.

ट्रंप ने पाकिस्तान को आतंक का अड्डा बताया

मोदी के साथ संयुक्त रूप से न्यूयॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद से निपटने को लेकर गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा कि उनकी बड़ी चिंता ईरान से शुरू होने वाला आतंकवाद है.

आतंकवाद के मुद्दे पर ट्रंप ने यह भी कहा कि मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी एक साथ बातचीत के लिए आना होगा. सूत्र ने यह भी कहा इन बयानों को प्रधानमंत्री और उनकी टीम ने सही से नहीं लिया है.

कुगेलमैन ने कहा, ‘निश्चित रूप से मोदी के साथ ट्रंप की टिप्पणी पाकिस्तान में आतंकवादी खतरे को कम करके बताने से सही संदेश नहीं गया है.’

विदेश मंत्री एस जयशंकर और पीयूष गोयल के साथ मंगलवार को पीएम मोदी 40 से अधिक अमेरिकी कंपनियों के सीईओ और प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे. मोदी इस बैठक में इन कंपनियों से भारत में निवेश की मांग करेंगे – जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है जो इनदिनों मंदी का सामना कर रही है.

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 सितंबर को संबोधन के बाद भारत लौटने की उम्मीद है. वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर के अगले सप्ताह तक वापस आने की उम्मीद है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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