गुवाहाटी, 22 सितंबर (भाषा) दिवंगत गायक जुबीन गर्ग के करीबी लोगों ने भविष्य में उनकी आवाज के अनधिकृत इस्तेमाल या छेड़छाड़ को रोकने के लिए उनकी आवाज को डिजिटल रूप से संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया है।
गर्ग के लंबे समय से सहयोगी रहे गायक-संगीतकार मानस रॉबिन ने कहा कि इस तरह के डिजिटल संरक्षण से यह सुनिश्चित होगा कि उनकी आवाज को एआई-सक्षम या अन्य प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विकृत या दुरुपयोग नहीं किया जाएगा।
रॉबिन ने सोमवार को सरुसजाई स्टेडियम में लाखों लोगों के साथ गर्ग को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘प्रौद्योगिकी में बड़ी प्रगति हो रही है, खासकर एआई-जनरेटेड सॉफ्टवेयर के साथ, यह बहुत संभव है कि इंटरनेट से लिए गए जुबीन के आवाज के नमूनों को भविष्य में अन्य गायक/कलाकार अपने रूप में इस्तेमाल कर सकें।’
उन्होंने कहा, ‘हम जुबीन गर्ग की आवाज को डिजिटल रूप से संरक्षित करने और ऐसा ‘डिजिटल हस्ताक्षर’ बनाने पर काम करेंगे जिससे जैसे ही उनकी आवाज बजाई जाएगी, उसकी उत्पत्ति का पता चल जाएगा।’
गर्ग (52) की शुक्रवार को सिंगापुर में समुद्र में तैरते समय मौत हो गई थी। उनका पार्थिव शरीर रविवार को गुवाहाटी लाया गया था। मंगलवार को शहर के बाहरी इलाके में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
आवाज को संरक्षित रखने की अवधारणा के बारे में उन्होंने कहा, ‘अगर किसी व्यक्ति का चेहरा किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर पर डिजिटल रूप से लगाया जाए, तो उसका पता लगाया जा सकता है। इसी तरह, ऐसी प्रणालियां विकसित हो रही हैं जहां किसी आवाज की उत्पत्ति का पता मूल व्यक्ति या गायक के डिजिटल रूप से संरक्षित संस्करण से लगाया जा सकता है।’
रॉबिन निर्देशक भी हैं और उन्हें अपने लोकगीतों, विशेषकर बिहू गीतों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि गर्ग के गीतों को पहले ही संग्रहित किया जा चुका है, और गायक ने अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले ऐसे ही एक संग्रह का उद्घाटन किया था।
उन्होंने कहा, ‘जुबीन गर्ग के काम का डिजिटल संरक्षण उनके यूट्यूब चैनल और अन्य इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म पर पहले से ही चल रहा है। हम उनकी आवाज पर एक ‘डिजिटल हस्ताक्षर’ भी लगाना चाहते हैं ताकि आज की एआई-जनरेटेड ऑडियो और वीडियो की दुनिया में कोई भी उसे अपना बताकर पेश न कर सके।’
भाषा आशीष माधव
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