नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 16 मई के अपने उस फैसले की समीक्षा के लिए दो दर्जन से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए मंगलवार को सहमति जताई, जिसमें पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करने वाली परियोजनाओं को पूर्वव्यापी मंजूरी देने संबंधी केंद्र के फैसले को रद्द कर दिया गया था।
शीर्ष अदालत के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एस ओका द्वारा 16 मई को लिखे गए फैसले में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) और संबंधित प्राधिकारों को पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी देने से रोक दिया गया था। न्यायालय ने कहा था कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार मौलिक अधिकार का हिस्सा है।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) सहित 25 कंपनियों ने फैसले की समीक्षा, संशोधन या स्पष्टीकरण के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया है।
याचिकाकर्ता कंपनियों में से एक मेसर्स कुमार ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स लिमिटेड, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता गोपाल झा कर रहे हैं, ने 14 मार्च 2017 की अधिसूचना के अनुसार दायर पर्यावरण मंजूरी के लिए अर्जियों के निस्तारण की स्थिति पर स्पष्टीकरण का अनुरोध किया है।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की विशेष पीठ ने पुनरीक्षण याचिकाओं सहित अन्य याचिकाओं पर नोटिस जारी किए और उनकी सुनवाई के लिए 7 अक्टूबर को दोपहर करीब 2 बजे का समय तय किया।
जब कुछ वकीलों ने याचिकाओं पर आपत्ति जताई, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम पुनर्विचार (याचिकाओं) पर विचार कर रहे हैं… रिकॉर्ड में दिखाई देने वाली त्रुटियों को इंगित करना उनका काम है… सौभाग्य से या दुर्भाग्य से, हमें फैसला करना है।’’
न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति भुइयां की पीठ ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) वनशक्ति द्वारा दायर याचिका पर दिये अपने फैसले में तीखी टिप्पणी की थी और कहा, ‘‘केंद्र सरकार का नागरिकों की तरह ही पर्यावरण की रक्षा करना संवैधानिक दायित्व है।’’
हालांकि, पूर्ववर्ती पीठ ने कहा था कि 2017 की अधिसूचना और 2021 के कार्यालय ज्ञापन (ओएम) के तहत कुछ मामलों में दी गई पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी को वर्तमान चरण में बाधित नहीं किया जाएगा।
भाषा सुभाष पवनेश
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