काठमांडू: नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने शुक्रवार को अंतरिम सरकार की प्रमुख के रूप में शपथ ली और वे देश की पहली महिला अंतरिम सरकार प्रमुख बनीं. उन्हें इसके लिए शुक्रवार को नियुक्त किया गया था.
राष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, शपथ ग्रहण समारोह शुक्रवार रात 8:45 बजे (स्थानीय नेपाल समय) राष्ट्रपति के निवास शीतल निवास में आयोजित हुआ.
नेपाल न्यूज़ के अनुसार, यह कदम प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ जनरेशन-ज़ी विरोध प्रदर्शनों के बीच इस्तीफा देने के बाद उठाया गया है.
नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने कार्की को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. Gen Z की मांग के अनुसार उन्हें अंतरिम मंत्रिपरिषद की प्रधानमंत्री के रूप में नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया है.
मीडिया हाउस कांतिपुर की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री बनाने के लिए राष्ट्रपति ने संविधान की धारा 61 का सहारा लिया है. इसके उपधारा 4 में कहा गया है कि राष्ट्रपति नेपाल की राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देंगे और संविधान का पालन और संरक्षण करना राष्ट्रपति का मुख्य कर्तव्य होगा. इसी तरह उपधारा 3 में भी कहा गया है कि राष्ट्रपति नेपाल की राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देंगे.
इन दोनों धाराओं के आधार पर कार्की को मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष बनाया गया है.
कौन हैं सुशीला कार्की
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रही हैं. उन्होंने जुलाई 2016 से जून 2017 तक इस पद पर कार्य किया. अपने निष्पक्षता, ईमानदारी और संक्रमणकालीन न्याय एवं चुनावी विवादों से जुड़े ऐतिहासिक फैसलों के लिए वह जानी जाती हैं.
कार्की ने 1979 में वकालत की शुरुआत की थी, 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं और 2009 में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश नियुक्त हुईं. निष्पक्ष छवि और विश्वसनीयता की वजह से नेपाल के Gen-Z आंदोलन ने उन्हें समर्थन दिया.
7 जून 1952 को विराटनगर में जन्मीं कार्की की राजनीतिक विज्ञान और कानून में मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि है.
अभी तक क्या कुछ हुआ
इस बीच, नेपाल की संसद भंग कर दी गई है. भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ उठे Gen-Z प्रदर्शनों के चलते कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद यह कदम उठाया गया. संसद भंग करना जहां प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग थी, वहीं इस पर बहस भी छिड़ गई है.
कुछ राजनीतिक दल संवैधानिक समाधान की मांग कर रहे हैं, जबकि नागरिक समाज संसद भंग करने की प्रक्रिया में कानूनी प्रावधानों के पालन की अपील कर रहा है.
Gen-Z समूह के नेताओं ने, जिन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व किया, यह मांग की थी कि संसद भंग की जाए और संविधान में संशोधन कर जनता की इच्छा को प्रतिबिंबित किया जाए.
शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष ने संयुक्त बयान जारी किया.
इसमें कहा गया— “हम Gen-Z प्रदर्शनों के दौरान भाद्र 23 और 24, 2082 को हुई जनहानि और संपत्ति की क्षति से स्तब्ध हैं. हम उन सभी युवाओं और पुलिस अधिकारियों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने इन प्रदर्शनों में जान गंवाई और शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं. हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं और संबंधित तंत्र से उपचार की कोई कमी न रहने की अपील करते हैं.”
बयान में आगे कहा गया— “भाद्र 24, 2082 को हुई आगजनी और तोड़फोड़, जिसमें बानेश्वर स्थित संघीय संसद भवन, सिंह दरबार में संघीय संसद सचिवालय, विभिन्न सरकारी दफ्तर, निजी व सरकारी मकान, मीडिया संस्थान, कारोबारी प्रतिष्ठान और सार्वजनिक संपत्ति व ऐतिहासिक दस्तावेज शामिल हैं, जिसने देश को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है. संसद भवन और सचिवालय में हुई आगजनी सहित देशभर में हुई घटनाओं ने देश को गंभीर नुकसान पहुंचाया है.”
वर्तमान हालात पर प्रकाश डालते हुए संयुक्त बयान में कहा गया— “देश की मौजूदा कठिन परिस्थिति में माननीय राष्ट्रपति संवैधानिक प्रक्रिया के तहत रास्ता निकालने की पहल कर रहे हैं, जिसमें जनता में निहित संप्रभुता, नागरिक स्वतंत्रता, भौगोलिक अखंडता, राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता को कायम रखा जा सके. इस संदर्भ में हम दृढ़ता से मानते हैं कि कानून का शासन और संवैधानिकता से विचलन नहीं होना चाहिए.”
इस बीच नेपाल में जारी Gen-Z प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 51 हो गई है. देश के स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों में इसकी पुष्टि की गई.
द काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने बताया कि मृतकों में से 30 लोगों की मौत गोली लगने से हुई, जबकि 21 की जान जलने, घाव और अन्य चोटों से गई. नेपाल पुलिस के सह-प्रवक्ता रमेश थापा ने कहा कि मृतकों में एक भारतीय नागरिक और तीन पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.
ये प्रदर्शन 8 सितंबर 2025 को काठमांडू सहित पोखरा, बुटवल और बीरगंज जैसे प्रमुख शहरों में तब शुरू हुए, जब सरकार ने कर राजस्व और साइबर सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था.
स्थिति पर काबू पाने के लिए काठमांडू सहित कई शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है. सेना के बयान के अनुसार, यह कर्फ्यू शुक्रवार शाम 5 बजे तक लागू रहेगा और फिर रात 7 बजे से शनिवार सुबह 6 बजे तक दोबारा लागू किया जाएगा.
काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेंद्र शाह ‘बालेन’ ने भी कार्की के नाम का समर्थन किया है, जिससे वह Gen-Z आंदोलन की संभावित उम्मीदवार के रूप में और मजबूत हो गई हैं.
(इनपुट एएनआई)
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