तिरुवनंतपुरम: पिछले महीने छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केरल में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले ईसाई समुदाय के बीच अपनी पहुंच तेज कर दी है.
भाजपा नेताओं के अनुसार, पार्टी ने ईसाई समुदाय के बीच घर-घर अभियान शुरू किया है. इसका मकसद अपनी विचारधारा फैलाना और कांग्रेस द्वारा फैलाए जा रहे तथाकथित “गलतफहमियों” का जवाब देना है.
पार्टी का कहना है कि वह सिर्फ सभी समुदायों के लिए समान अधिकार की वकालत कर रही है और यह भी कहा कि भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी से उसका चर्च के साथ संबंध खराब नहीं हुआ है. पार्टी पदाधिकारियों के अनुसार, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा पदाधिकारियों के लिए बुधवार को कोट्टायम में एक कार्यशाला भी कर रही है. इसमें संपर्क रणनीति पर प्रशिक्षण दिया जाएगा.
पार्टी, जो स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनाव से पहले सक्रिय रूप से अपनी पकड़ बढ़ाने की कोशिश कर रही है, दो ननों—सिस्टर प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस—की गिरफ्तारी के बाद मुश्किल में आ गई थी. उन पर जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी का आरोप लगा था.
जहां केरल इकाई ने कहा कि वह ननों को जमानत दिलाने में मदद करेगी, वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गिरफ्तारी का बचाव किया. बजरंग दल की गिरफ्तारी में भूमिका से पार्टी और भी बचाव की मुद्रा में आ गई.
गिरफ्तारी के बाद पूरे केरल में विरोध प्रदर्शन हुए. इनका नेतृत्व सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ), विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और चर्च संगठनों ने किया. उन्होंने भाजपा पर “दोहरा रवैया” अपनाने का आरोप लगाया. ननों को नौ दिन की हिरासत के बाद 2 अगस्त को जमानत मिल गई. यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा केरल के सांसदों को यह आश्वासन देने के कुछ दिन बाद हुआ कि छत्तीसगढ़ सरकार जमानत का विरोध नहीं करेगी.
जमानत के बाद, कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) ने केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार का हस्तक्षेप के लिए धन्यवाद किया. जमानत मिलने के करीब दो हफ्ते बाद, दोनों ननों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात की.
“राज्य में भाजपा के बारे में एक गलतफहमी है जो कांग्रेस ने फैलाई है. हम उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं,” भाजपा राज्य उपाध्यक्ष शोन जॉर्ज, जो सीधे ईसाई संपर्क अभियान की देखरेख कर रहे हैं, ने दिप्रिंट को बताया.
जॉर्ज ने दावा किया कि ईसाई समुदाय जानता है कि ननों को जमानत दिलाने में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप का योगदान था, जबकि अन्य दल सिर्फ विरोध कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पार्टी झटकों के बावजूद यह संपर्क अभियान जारी रखेगी और पार्टी के जिला नेता बार-बार बिशप्स के घर जाते हैं, हाल में ओणम के मौके पर भी गए थे.
उन्होंने कहा, “राज्य का ईसाई समुदाय राजनीतिक रूप से जागरूक है. वे जानते हैं कि वे अपनी मांग कांग्रेस या सीपीआई(एम) से नहीं रख सकते. लेकिन भाजपा से यह संभव है.”
‘प्रैक्टिकल’ नजरिया
एर्नाकुलम के एक बीजेपी माइनॉरिटी मोर्चा पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी की चुनावी रणनीति “तीन से चार घरों” पर एक समय में ध्यान देती है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास दृष्टिकोण को सामने रखा जाता है और केरल की “सामाजिक हकीकत” बताई जाती है.
उन्होंने कहा, “कई लोग पहले ही समझ चुके हैं कि केरल में ईसाइयों के लिए जीना भी मुश्किल है.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि ननों की गिरफ्तारी के बाद समुदाय का भरोसा जीतने के लिए यह अभियान अहम था. “अगर हमने यह अभियान शुरू नहीं किया होता, तो समुदाय को अपनी नीयत पर यकीन नहीं दिला पाते.”
पदाधिकारी ने कहा कि कोट्टायम कार्यशाला अगले दो महीने की चुनावी रूपरेखा तैयार करेगी, क्योंकि अभी यह अभियान केवल कुछ ही माइनॉरिटी मोर्चा पदाधिकारियों द्वारा चलाया जा रहा है.
2011 की जनगणना के अनुसार, केरल की आबादी का 18.38 प्रतिशत ईसाई हैं. यह समुदाय विविध और प्रभावशाली है, जिसमें लैटिन कैथोलिक, सीरियन क्रिश्चियन, प्रोटेस्टेंट और पेंटेकोस्टल जैसे कई मत शामिल हैं.
कैथोलिक ब्लॉक, जिसमें सायरो-मलाबार, सायरो-मलनकारा और लैटिन कैथोलिक चर्च आते हैं, समुदाय के सबसे प्रभावशाली हिस्से में है. यह ब्लॉक पूरे राज्य में स्कूल, अस्पताल और अन्य संस्थान चलाता है. ब्लॉक का संचालन केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (KCBC) करती है, जो संयुक्त बयान जारी करती है. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह जिम्मेदारी CBCI की है.
CSDS-लोकनीति के पोस्ट-पोल सर्वे के अनुसार, 2024 लोकसभा चुनाव में केरल के लगभग 5 प्रतिशत ईसाइयों ने बीजेपी को वोट दिया. यह ऐतिहासिक था. पार्टी का कुल वोट शेयर 2019 के 13 प्रतिशत से बढ़कर 16.68 प्रतिशत हो गया. बीजेपी की पहली बार लोकसभा जीत त्रिशूर से हुई, जहां बड़ी संख्या में ईसाई आबादी है और अभिनेता-राजनीतिज्ञ सुरेश गोपी ने जीत दर्ज की.
राजनीतिक विश्लेषक के.पी. सेथुनाथ ने कहा, “बीजेपी ज्यादातर कैथोलिक चर्च पर फोकस कर रही है. शीर्ष नेतृत्व ने बिना खुले रिश्ते के ही बीजेपी समर्थित रुख अपना लिया है. लेकिन जमीनी स्तर पर यह वोटों में बदल पाएगा या नहीं, यह देखना बाकी है.” उन्होंने कहा कि चर्च अपने संस्थानों के संचालन और समर्थन के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर हैं. यही उनकी बीजेपी के प्रति सोच का अहम पहलू है.
उन्होंने कहा, “जहां तक केरल में सायरो-मलाबार चर्च की बात है, उनके लिए मणिपुर जैसे मुद्दे प्राथमिक चिंता नहीं हैं. चर्च स्टैन स्वामी की गिरफ्तारी पर पूरी तरह चुप रहा. लेकिन जब उनसे जुड़ी ननों को गिरफ्तार किया गया तो उसने जोरदार प्रतिक्रिया दी.”
इसी बीच, KCBC के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि चर्च किसी पार्टी का समर्थन नहीं करता. लेकिन वह स्थानीय मुद्दों के हिसाब से व्यावहारिक नजरिया अपनाता है. उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर को राज्य अध्यक्ष बनाए जाने के बाद बीजेपी की पहुंच और तेज हो गई है.
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