भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आत्मनिर्भर गौशालाएं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं. उन्होंने कहा कि गौ-शालाएं गोबर और गोमूत्र जैसे अपशिष्ट से आय अर्जित कर संपन्न बन सकती हैं. इसके लिए दुग्ध उत्पादों और गोमूत्र-गोबर आधारित सामग्री के विक्रय की व्यवस्था विकसित की जाए. साथ ही गौशालाओं में उपलब्ध स्थान का उपयोग सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन के लिए भी किया जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न अंचलों में स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप देसी नस्ल के गोपालन को प्रोत्साहित किया जाए. गौशालाओं के प्रबंधन में धार्मिक संस्थाओं और दानदाताओं को जोड़ा जाए. उन्होंने चिंता जताई कि प्रदेश में उपलब्ध पशुधन के अनुपात में पशु चिकित्सकों की संख्या कम है. गोवंश के बेहतर प्रबंधन और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशु चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने पर बल दिया.
आज मंत्रालय में पर्यावरण विभाग की समीक्षा बैठक कर वरिष्ठ अधिकारियों को जल एवं वायु की शुद्धता पर विशेष रूप से ध्यान देने हेतु दिशा-निर्देश दिए।
बैठक में भोपाल के Bio Diversity Park के साथ ही उज्जैन व जबलपुर में Zoo-cum Rescue Centre के निर्माण कार्य में गति लाने के निर्देश दिए।… pic.twitter.com/RVLAFZw2BZ
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) September 8, 2025
मुख्यमंत्री डॉ. यादव मध्यप्रदेश गौसंवर्धन बोर्ड की मंत्रालय में हुई बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. बैठक में पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री लखन पटेल, मुख्य सचिव अनुराग जैन सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा अनुसार गिर, साहीवाल, मालवी और नागौरी जैसी देसी नस्लों के पशुधन को बढ़ावा दिया जाए. जनजातीय अंचलों में भी गोपालन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए नवाचार किए जाएं. उन्होंने कहा कि पशुपालन, कृषि, उद्यानिकी और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों में समन्वित प्रयासों से किसानों की आय में वृद्धि होगी और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश देश के शीर्ष राज्यों में शामिल हो सकेगा.
बैठक में जानकारी दी गई कि गौसंवर्धन बोर्ड द्वारा गौशाला समितियों के बैंक खातों में राज्य स्तर से सीधे राशि अंतरित की जा रही है. अब तक 937 नई गौशालाओं का पंजीयन किया गया है, जिनमें एक लाख 10 हजार गोवंश को आश्रय मिला है. वर्ष 2024-25 में विदिशा, देवास, आगर-मालवा, ग्वालियर, दमोह, सतना और रीवा में बायोगैस सह जैविक खाद निर्माण संयंत्र स्थापित किए गए हैं.
इसके अलावा ग्वालियर, इंदौर और उज्जैन नगर निगमों ने वृहद गौशालाओं का संचालन शुरू कर दिया है, जबकि भोपाल और जबलपुर में गौशालाओं की स्थापना का कार्य प्रगति पर है. बैठक में स्वावलंबी गौशालाओं की नीति की प्रगति की भी समीक्षा की गई.