गुरदासपुर/अमृतसर: कुछ साल पहले ट्रैक्टर-ट्रॉली दिल्ली की सीमाओं तक पहुंचे थे और 2020-21 के किसानों के आंदोलन का प्रतीक बन गए थे, आज वही ट्रैक्टर-ट्रॉली पंजाब में बाढ़ राहत के लिए लाइफलाइन बन गए हैं.
20 अगस्त को भारी मानसूनी बारिश से आई बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे उतरने लगा है और राहत व पुनर्वास का काम तेज़ी पकड़ रहा है.
जलमग्न सड़कों पर गांवों और युवाओं द्वारा चलाए जा रहे ट्रैक्टर-ट्रॉली दिन में कई बार चक्कर लगा रहे हैं, जिनमें राशन लदा होता है और ये परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के साथ-साथ खाने-पीने का सामान, कपड़े और ज़रूरी चीज़ें फंसे हुए गांवों तक पहुंचाते हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं, स्थानीय लोग अपनी समझदारी और जुगाड़ से ज़्यादा से ज़्यादा नावें बना रहे हैं. ये नावें राहत सामग्री ले जा रही हैं और बेघर लोगों को ऊंचे स्थानों तक पहुंचा रही हैं.
कपूरथला में हंसपाल ट्रेडर्स, जो रेलवे कोच के पुर्जे बनाती है, उसने अपनी फैक्ट्री को नाव बनाने की वर्कशॉप में बदल दिया है. फैक्ट्री में वेल्डिंग गन लिए स्थानीय लोग नाव का ढांचा जोड़ने और बनाने में लगे हैं. मोटर न होने पर नावें हाथ से चलाने लायक बनाई जा रही हैं.
कंपनी ने पहली बार पिछले साल की बाढ़ में नावें बनाई थीं. इस साल जैसे ही पानी बढ़ा, कंपनी के मालिक प्रीतपाल सिंह हंसपाल और देविंदर पाल सिंह हंसपाल को पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से नावों की मांग आने लगी.

प्रीतपाल सिंह ने कहा, “हम बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद ऐसे कर रहे हैं…हमने अपने डिजाइन सार्वजनिक कर दिए हैं. हम यह मुनाफे के लिए नहीं कर रहे, सिर्फ लोगों की मदद करना चाहते हैं.”
अमृतसर के रामदास के मेडिकल अधिकारी रशपाल सिंह जिन्होंने जट्टा पिंड के पास मेडिकल कैंप लगाया है, उन्होंने कहा, “इस संकट ने सामुदायिक पहल की ताकत को सामने ला दिया है. यही तो चढ़दी कला (संकट में डटे रहने और हिम्मत बनाए रखने का सिख भाव) है.”
उन्होंने बताया कि पंजाब में आज लोग सरकारी मदद का इंतज़ार नहीं कर रहे बल्कि अपनी तरफ से जितना हो सके सहयोग कर रहे हैं.
सिंह ने कहा, “यह हमारी परंपरा से आता है. यही असली पंजाब है, जहां लोग किसी को तकलीफ में देख बिना मदद का हाथ बढ़ाए नहीं रह सकते, जब भी लोग मुश्किल में होते हैं, समुदाय से लोग सामने आते हैं. इस बार संकट गहरा और गंभीर है, इसलिए बड़ी संख्या में लोग मदद के लिए उतरे हैं.”
पंजाब में बाढ़ के बीच ड्रोन और डॉक्टर तैनात
जहां प्रभावित लोग प्रशासन पर मदद न करने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं ज़िला अधिकारी का कहना है कि उनका ध्यान टूटी सड़कों की मरम्मत और अब भी फंसे लोगों को निकालने पर है.
कभी सीमा पार तस्करी के औज़ार माने जाने वाले ड्रोन अब बाढ़ग्रस्त पंजाब में उम्मीद के संदेशवाहक बन रहे हैं. अमृतसर में इन्हें राशन और दवाइयां ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे ये तकनीक राहत की जीवनरेखा साबित हो रही है.

यह पहल अमृतसर की डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनिंदर सिंह की अगुवाई में शुरू की गई. उन्होंने बाढ़ राहत और बचाव कार्यों में ड्रोन को शामिल करने का विचार दिया.
अधिकारियों ने कहा कि ज़रूरी सामान की हवाई सप्लाई उन गांवों तक पहुंचने में अहम साबित हो रही है, जो पानी से कट गए हैं और जहां सामान्य परिवहन मुश्किल है.
शुक्रवार को अमृतसर डीसी साक्षी साहनी ने अजनाला तहसील में धुस्सी तटबंध का दौरा किया, जो कुछ दिन पहले टूट गया था. उन्होंने अधिकारियों से मरम्मत का काम तेज़ करने को कहा. इस दौरान स्थानीय लोग उनके पास आ गए और एक बुज़ुर्ग ने उनका धन्यवाद किया.
साहनी ने उन्हें जवाब दिया, “ये मेरा फर्ज़ है बाबा जी. हम सब मिलकर काम कर रहे हैं.”
बाढ़ आने के बाद से अमृतसर डीसी ने राहत कार्यों की कमान संभाली है. उनके वीडियो प्रभावित लोगों के साथ सोशल मीडिया पर खूब साझा हो रहे हैं.
अमृतसर में इस समय 16 राहत शिविर चल रहे हैं, जहां ज़रूरी सामान उपलब्ध कराया जा रहा है.
पशु चिकित्सक और पशुपालन विभाग के अधिकारी भी गांवों में जाकर बचाए गए मवेशियों की जांच कर रहे हैं. पंजाब के पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक हारून रतन शुक्रवार को रामदास पहुंचे.
उन्होंने कहा, “जब पानी उतरना शुरू होगा तो कई जलजनित बीमारियां फैल सकती हैं. सबसे ज़्यादा खतरा मवेशियों को है. हम इसके लिए तैयार हैं.”
दीनानगर (सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों में से एक) के एसडीएम जसपिंदर सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि अधिकारी मकौड़ा जैसे गांवों में रातभर रुके और बचाव अभियान चलाया. उन्होंने याद किया कि रावी नदी इतनी उफान पर थी कि इलाका डूब गया.
उन्होंने कहा, “बचाव मुश्किल था क्योंकि कोई भी अपना घर छोड़ना नहीं चाहता था.”
दीनानगर में, उन्होंने बताया, पांच क्लस्टर बनाए गए जहां एनडीआरएफ, आर्मी और ग्लोबल सिख जैसे एनजीओ तैनात किए गए.
उन्होंने कहा, “हर क्लस्टर में पांच अधिकारी राहत और बचाव का काम संभाल रहे हैं. हमारे एक ओलंपिक मेडलिस्ट, रूपिंदर पाल सिंह, जो पीसीएस अधिकारी हैं, ज़मीन पर मौजूद हैं.” शुरुआत में इलाके में तैयार खाना भी बांटा गया था.
सिंह ने कहा, “अब हम राशन, तिरपाल और चारा बांट रहे हैं. हमारा काम सही दिशा में है क्योंकि दीनानगर में कोई हताहत नहीं हुआ है.”
उन्होंने आगे कहा कि रेड क्रॉस और स्थानीय उद्योग भी मदद कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि चुनौती अब गिर्दावरी यानी नुकसान का आकलन शुरू करने की है क्योंकि खेत अब भी डूबे हैं. “जैसे ही पानी उतरेगा, हम शुरू करेंगे. फिलहाल ध्यान राहत और बचाव पर है.”
स्थानीय अधिकारियों के साथ एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आर्मी और बीएसएफ भी शामिल हैं.

पंजाब सरकार ने राज्य को आपदा प्रभावित घोषित कर दिया है और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत 7 सितंबर तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया है.
5 सितंबर को बीएसएफ ने बाढ़ प्रभावित सीमावर्ती इलाकों में मेडिकल कैंप लगाए—अजनाला, फिरोज़पुर, गुरदासपुर, अमृतसर और फाज़िल्का में.
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “कुल 1,098 पुरुष, महिलाएं और बच्चों को तुरंत मेडिकल सहायता दी गई.”
गांवों के लोग तत्काल फसल मुआवज़े की मांग कर रहे हैं. जट्टा गांव के हरजीत सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “सरकार को तुरंत प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.”
शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहा) के बैनर तले बाढ़ प्रभावित लोगों ने डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
इसी बीच, फाज़िल्का निवासी शुभम ने राहत कार्यों में अदालत के हस्तक्षेप के लिए जनहित याचिका दायर की, लेकिन पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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