सिद्धान्त मिश्रा
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) यमुना नदी में जलस्तर बढ़ने के बीच संभावित बाढ़ से निपटने के लिए एहतियातन कदम उठाते हुए प्रशासन ने दिल्ली के सभी 13 नियामक नालों (रेगुलेटर ड्रेन्स) को बंद कर दिया है।
शहर में वासुदेव घाट से यमुना तट तक फैले वर्षा जल निकासी नालों के मुहानों पर बालू से भरे बोरे रख दिए गए हैं ताकि नदी का पानी शहर के निचले इलाकों में वापस न घुस सके।
एक सरकारी अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, “शहर के सभी नियामक नालों को बंद कर दिया गया है ताकि यमुना नदी से पानी के प्रवाह को रोका जा सके। फिलहाल नदी का जलस्तर ऊंचा है और वह संकटपूर्ण स्थिति की ओर बढ़ रहा है।”
दिल्ली में यमुना में गिरने वाले 13 नियामक नाले हैं, जिनमें मैग्जीन रोड नाला, पुराना चंद्रावल नाला, खैबर पास नाला, मेटकॉफ हाउस ड्रेन, कुदसिया घाट नाला, विजय घाट नाला, टोंगा स्टैंड नाला, सिविल मिलिट्री नाला, दिल्ली गेट नाला, सेन नर्सिंग होम नाला, नाला संख्या 12-ए, नाला संख्या 14 और रेगुलेटर नंबर 2800 शामिल हैं।
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और अन्य एजेंसियों ने आईटीओ, कश्मीरी गेट, राजघाट, वासुदेव घाट, कुदसिया घाट, यमुना बैंक और आंतरिक रिंग रोड के कुछ हिस्सों को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया है क्योंकि ये स्थान यमुना नदी के समीप होने के कारण बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।
पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने कहा, “एक अस्थायी उपाय के रूप में, नालों के मुहाने पर बालू भरे बोरे रखे जा रहे हैं ताकि नदी का पानी नालों के जरिये सड़कों तक न पहुंचे, जैसा कि दो साल पहले हुआ था। हालांकि, यदि जलस्तर और बढ़ा तो स्थिति मुश्किल हो सकती है। हमने 32 नावें, 89 मोबाइल पंप और 18 स्थायी जल पंपिंग स्टेशनों को सक्रिय कर दिया है।”
अधिकारियों ने कहा, “रेगुलेटर ड्रेन्स सामान्यतः वर्षा जल को बाहर निकालने के लिए उपयोग में आते हैं। लेकिन अब ये निकासी मार्ग बंद हो चुके हैं, जिससे जलभराव वाले स्थानों से अतिरिक्त पानी निकालने में अधिक समय लग रहा है।”
उल्लेखनीय है कि 2023 में यमुना के जलस्तर में अभूतपूर्व वृद्धि के दौरान नदी के किनारे के इलाके कई दिनों तक जलमग्न रहे थे क्योंकि पानी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
भाषा मनीषा माधव
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