नई दिल्ली : ‘साधु बनु या सैनिक’ यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने आने वाली दुविधाओं में से एक थी, क्योंकि उन्होंने राष्ट्र की सेवा के लिए रास्ते तलाशे थे. लेकिन अंत में, उन्होंने देश के लिए समाज सेवा का विकल्प चुना एक फैसला जो उन्होंने हिमालय में रहने के दौरान किया था.
आप सोचेंगे की हमें कैसे पता चला, भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन सप्ताह भर मनाने के लिए भाजपा मुख्यालय में उनसे जुड़ी हुई पुरानी फोटो, चित्रण और कुछ पुराने किस्सों की प्रदर्शनी लगायी है, जिसको ‘सेवा सप्ताह’ का नाम दिया गया है. यह प्रदर्शनी 20 सितंबर को खत्म होगी.
यह प्रदर्शनी मोदी को संकटमोचक, किताबों के समंदर के गोताखोर, दिव्यांगनो के सच्चे साथी और पर्यावरण के सिपाही के रूप में प्रदर्शित करता है. प्रदर्शनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संवेदनशील लेखक, कवि, सामाजिक विचारक और यहां तक कि ‘बहादुर बच्चे’ के रूप में वर्णित किया गया है जो खेल-खेल में अपने घर एक मगरमच्छ का बच्चा घर ले आया.
अपने जवानी के दिनों में युवा नरेंद्र ने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनी और जीवन के बारे में जानने के लिए हिमालय की गोद में में चले गए, साथ में दो सेट कपड़े और कई सवालों के साथ चल दिए. इस प्रदर्शनी को ‘हिमालय की गोद में’ नामक शीर्षक दिया है.
इस प्रदर्शनी में मोदी के जीवन के सभी पहलुओं को छुआ गया है और उनकी मां के अलावा परिवार के किसी सदस्य का उल्लेख नहीं किया गया है.
चाय बेचने से प्रधानमंत्री तक का सफर
इस गैलरी में कहानी की शुरुआत मोदी के बचपन के दिनों से होती है, जब वो वडनगर के रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे. प्रदर्शनी में उनके जीवन के व्यक्तिगत पहलुओं, स्कूल के दिनों, स्वयंसेवक बनने के उनके निर्णय और उनकी राजनीतिक यात्रा की एक झलक है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में किए गए कार्यों को भी दिखाया गया है. जिसमें ‘वाइब्रेंट गुजरात’ और ‘गुजरात मॉडल’ नामक शीर्षक के साथ उनके प्रधानमंत्री के रूप में किये गए उनके कार्य को भी दर्शाया है.
पीएम मोदी की इसरो प्रमुख के सीवन को गले लगाते हुए तस्वीर को भी इस प्रदर्शनी में दर्शाया गया है. जिसमें प्रधानमंत्री को संकटमोचक कहा गया है. चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पहुंचने की विफलता के बाद प्रधानमंत्री के इसरो प्रमुख को गले लगाया था.
प्रदर्शनी में यह दर्शाया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार इसरो वैज्ञानिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे. चंद्रयान-2 के असफल होने के बाद उन्होंने वैज्ञानिकों को सांत्वना दी और कहा कि वे हार न मानें.
इस प्रदर्शनी में स्वच्छता, प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध, जल संरक्षण, बालिका शिक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करने जैसे मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित किया गया है.
24 घंटे पर्याप्त नहीं हैं
एक और चीज जो गैलरी में मोदी की प्रशंसा करती है वह है वीआईपी कल्चर. रूस में पूर्वी आर्थिक मंच(ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम) के दौरान, पीएम मोदी ने एक विशेष सोफे पर बैठने से मना कर दिया था और किसी सामान्य व्यक्ति की तरह कुर्सी पर बैठने का विकल्प चुना, जिसने कई लोगों को आश्चर्यचकित किया.
इस प्रदर्शनी में जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 और देश में तीन तलाक़ को लेकर बनाये गए नए कानून को ‘ऐतिहासिक’ उपलब्धियों की तरह दर्शाया गया है. प्रदर्शनी में दुनिया भर में मोदी द्वारा जीते गए सभी पुरस्कार को भी शामिल किया गया है.
प्रदर्शनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेहनती छवि के बारे में बात की गई है एक प्रदर्शनी में यह कहा गया है कि ’24 घंटे भी कम है, बंदे में इतना दम है’.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)