नई दिल्ली: पिछले आठ महीनों के भीतर सिविल एविएशन के प्रबंध विभाग ने 74 पायलटों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है. 74 में से 41 यानी कि 55 फीसदी पायलटों को सुरक्षा संबंधी चीज़ों में अनदेखी के कारण बर्खास्त कर दिया गया है. वहीं बाकी बचे 33 पायलट को ब्रेथलाइजर टेस्ट में फेल होने के कारण बर्खास्त कर दिया गया है. इस टेस्ट के दौरान पता चला है कि पायलटों ने विमान उड़ाते समय शराब पी हुई थी.
एक आरटीआई के जवाब में डीजीसीए ने पायलटों से जुड़ी जानकारी दी है. पिछले दो सालों (जनवरी से लेकर अगस्त 2019 तक) में पायलटों के बर्खास्तगी की जानकारी आरटीआई में मांगी गई थी. विमान प्राधिकरण ने पायलट से जुड़ी जानकारी और एयरलाइंस से जुड़ी जानकारी देने से मना कर दिया है.
आरटीआई के जवाब में पता चला है कि साल 2017 से लेकर अगस्त 2019 तक 262 पायलटों को विभिन्न कारणों से बर्खास्त किया गया है. जिसमें 98 पायलटों को 2017 में और 90 पायलटों को 2018 में बर्खास्त किया गया था.
डीजीसीए के वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘विभिन्न कारणों से बर्खास्त किए जाने वाले पायलटों की संख्या में इस साल तेज़ी से वृद्धि हुई है.’
एक अधिकारी ने बताया, ‘2017 में किसी भी पायलट को बर्खास्त नहीं किया गया था. उस साल सिर्फ एक मामला आया था जिसमें हमने क्रू के सदस्य को कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर भेज दिया था. लेकिन 2018 में 11 पायलटों को दुर्घटना संबंधित मामले में बर्खास्त किया गया था. पिछले 8 महीने में 41 पायलटों को बर्खास्त किया गया है. यह इसलिए हुआ है क्योंकि डीजीसीए ऐसे मामलों में काफी सख्ती बरतता है.’
दुर्घटना किसे माना जाएगा
डीजीसीए एयरक्रॉप्ट नियम 2017 के मुताबिक दुर्घटना तभी मानी जाएगी जब विमान चलते वक्त विमान में बैठे किसी भी व्यक्ति को गंभीर चोट आई हो.
गंभीर दुर्घटना में ऐसी स्थिति शामिल है जिसमें एयरक्रॉफ्ट को क्षति पहुंचे और इसके संरचनात्मक ढ़ांचे को कोई खराबी आए या क्रॉफ्ट कहीं खो जाए.
एक और डीजीसीए के अधिकारी ने बताया कि दुर्घटना के मामले में सजा दुर्घटना को देखकर दी जाती है. सजा 2 महीने से लेकर 1 साल तक के लिए दी जा सकती है.
अधिकारी ने बताया कि अगर कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो ऐसे में पायलट को कड़ी सजा देने का प्रावधान है. लेकिन पायलट को सजा के खिलाफ अपील करने का भी प्रावधान है. यह दो-स्तरीय प्रक्रिया के जरिए होता है.
जिस किसी को भी सजा दी गई है अगर वो उससे संतुष्ट नहीं है तो वो अपील कर सकते हैं. अपील करने के बाद सजा पर फिर से विचार किया जाता है. यह दो स्तरों पर होता है. अगर उसके बाद भी सजा बरकरार रहती है तो कानून के सभी दरवाजे फिर बंद हो जाते हैं.
डीजीसीए ने बर्खास्त पायलटों के बारे में जानकारी देने से मना कर दिया है. हाल ही में डीजीसीए ने कुछ बड़े मामलों में कड़े कदम उठाए हैं.(चित्र में देखें).
डीजीसीए के फैसले से हर कोई संतुष्ट नहीं है.
एयर एशिया में सुरक्षा संबंधी व्यवस्था देखने वाले और इंडिगो में ट्रेनिंग हेड रहे अमित सिंह का कहना है कि डीजीसीए ने बर्खास्तगी को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है और न ही ठीक से कोई अन्य जानकारी दी है.
हवाई जहाज से संबंधित दुर्घटनाएं लगातार भारत में बढ़ रही है. अमित सिंह का कहना है कि प्राधिकरण बड़े स्तर पर पायलटों को बर्खास्त कर रहा है और क्रू सदस्यों के लाइसेंस रद्द कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने लेंडमार्क फैसले में कहा था कि बर्खास्तगी की समयसीमा सिर्फ 90 दिनों तक ही रहनी चाहिए.
ब्रेथलाइजर टेस्ट
ब्रेथलाइजर टेस्ट से पता चलता है कि क्रू सदस्य शराब के प्रभाव में तो नहीं है. 16 सितंबर 2019 को डीजीसीए ने आदेश दिया था कि अब से सभी हवाई अड्डे पर ब्रेथलाइजर टेस्ट होगा. यह टेस्ट सभी क्रू सदस्य और एयरपोर्ट सदस्यों के लिए होगा.
डीजीसीए के नियमानुसार अगर कोई इस टेस्ट में सही पाया जाता है या पहली बार टेस्ट से इंकार कर देता है या एयरपोर्ट क्षेत्र से बाहर चला जाता है तो उसे 3 महीने के लिए बर्खास्त कर दिए जाने का प्रावधान है.
अगर दूसरी बार ऐसी घटना हुई तो लाइसेंस को एक साल के लिए रद्द कर दिए जाने का प्रवाधान है. तीसरी बार नियमों का उल्लंघन करने पर लाइसेंस को तीन साल के लिए रद्द कर दिए जाने का प्रावधान है और चौथी बार नियम तोड़ने पर पूरे जीवन के लिए प्रतिबंध लगा दिए जाने का प्रावधान है.
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