मथुरा (उप्र), 31 अगस्त (भाषा) मथुरा के बरसाना स्थित श्री राधारानी मंदिर में ‘राधा अष्टमी’ का पर्व रविवार को धूमधाम से मनाया गया।
मथुरा स्थित बरसाना कस्बे में भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति राधारानी का 5253वां जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। इसे ‘राधा अष्टमी’ पर्व कहा जाता है। इस अवसर पर देश-विदेश से बरसाना पहुंचे लाखों भक्तों ने अभिषेक महोत्सव में शामिल होकर पुण्य लाभ कमाया।
यह पहला मौका था जब जिला प्रशासन ने मंदिर प्रबंधन से मिलकर जन्मोत्सव कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया और इस मौके पर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
अधिकारी शनिवार से ही लगातार मेले में पैदल भ्रमण करके और नियंत्रण कक्ष में सीसीटीवी के माध्यम से पल-पल की खबर लेते रहे।
रविवार सुबह जब राधारानी का अभिषेक प्रारंभ हुआ तो मंदिर प्रांगण सहित संपूर्ण मेला परिसर में ‘राधारानी की जय’ के जयकारे लगने लगे। सभी श्रद्धालु ‘राधे-राधे’ करते झूमने लगे।
मेले में छह स्थानों पर लगाई गई एलईडी स्क्रीनों पर देख रहे भक्तजन भी भाव विह्वल हो उठे। सबसे ज्यादा उल्लास तो तब हुआ, जब इंद्रदेव ने भी राधारानी के जन्म दिवस पर अमृत रूपी बूंदों की वर्षा शुरू कर दी। लेकिन ब्रह्मांचल पर्वत की छह सौ फुट ऊंची पहाड़ी पर बने लाडली जी (राधारानी) के मंदिर परिसर और आसपास जुटे श्रद्धालु इस दौरान टस से मस नहीं हुए।
बरसाना की गलियों में दूर-दूर से आए भक्त इस दिव्य दृश्य के साक्षी बने, तो हर कोई आनंदमग्न हो उठा।
महिलाएं मंगलगीत गाने लगीं, संत वेदपाठ में लीन हो गए और बच्चे फुहारों में नाचने लगे।
वृद्ध भक्तों ने इसे ईश्वरीय संकेत बताते हुए कहा, ‘‘यह वर्षा कोई साधारण वर्षा नहीं, यह तो राधारानी के जन्म का दिव्य अभिषेक है।’’
इससे एक दिन पूर्व नंदगांव के गोस्वामी समाज ने लाडली जी मंदिर में पहुंचकर सभी को बधाई दी और मिठाई वितरित की।
इसके बाद बरसाना के गोस्वामी समाज के प्रबुद्ध जनों के साथ मिलकर पारंपरिक बधाई गायन किया।
मथुरा के महावन के समीप स्थित रावल गांव के राधारानी मंदिर में सुबह चार बजे ही राधारानी का प्रकट्योत्सव सम्पन्न हुआ। यही वह गांव है जहां द्वापर युग में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को वृषभानु व कीर्तिदेवी की लाडली बेटी के रूप में राधारानी का जन्म हुआ था।
राधारानी का प्राकट्य होते ही मंदिर परिसर घंटे-घड़ियाल व शंख ध्वनि से गूंज उठा। मन्दिर के सेवायत पुजारी राहुल कल्ला द्वारा साढ़े चार बजे मंगला आरती की गई।
तत्पश्चात, साढ़े पांच बजे मन्दिर के सेवायत महंत व अन्य संतों द्वारा 101 किलो दूध मिश्रित घी, शहद, बूरा, यमुना जल, रस, गंगाजल व पंचामृत से राधारानी के विग्रह का अभिषेक किया। इसके बाद श्री राधारानी का श्रृंगार किया गया।
भाषा सं आनन्द नोमान संतोष
संतोष
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