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Thursday, 28 August, 2025
होमविदेशहसीना ने बांग्लादेश में चुनाव रद्द कराने के लिए ‘बिज़नेस ग्रुप’ से लिए 2,500 करोड़—BNP नेता का आरोप

हसीना ने बांग्लादेश में चुनाव रद्द कराने के लिए ‘बिज़नेस ग्रुप’ से लिए 2,500 करोड़—BNP नेता का आरोप

अवामी लीग ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि हमें फरवरी 2026 में होने वाले चुनाव जीतने का पूरा भरोसा है. आरोप है कि रिश्वत दिल्ली में एक ‘बिज़नेस ग्रुप’ द्वारा दी गई.

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कोलकाता: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने आरोप लगाया है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दिल्ली में 2,500 करोड़ रुपये की रिश्वत ली, ताकि फरवरी 2026 में होने वाले अगले चुनाव रद्द हो सकें.

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 27 अगस्त को ढाका के जतिया प्रेस क्लब में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीएनपी के महासचिव मिर्ज़ा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि एक बिज़नेस ग्रुप ने यह पैसा हसीना को उन लोगों की ओर से दिया है, जो बांग्लादेश में चुनाव नहीं चाहते.

आलमगीर ने आरोप लगाया कि सिर्फ हसीना ही नहीं, बल्कि अन्य राजनीतिक ताकतें भी अगले चुनाव को रद्द करने में लगी हुई हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के कुछ धड़े भी ऐसे हैं जो बांग्लादेश में लोकतांत्रिक ताकतों को सत्ता में आने से रोकना चाहते हैं.

बीएनपी के शीर्ष नेता द्वारा लगाया गया यह गंभीर आरोप ढाका की राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है और बांग्लादेश के अगले चुनाव को लेकर संदेह खड़े कर रहा है. 5 अगस्त को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने एक टीवी संबोधन में हसीना की सत्ता से बेदखली की पहली वर्षगांठ पर घोषणा की थी कि अगला आम चुनाव फरवरी 2026 में होगा, ताकि एक निर्वाचित सरकार को सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो सके.

वहीं, अवामी लीग ने बीएनपी नेता के लगाए आरोपों को कड़े शब्दों में खारिज कर दिया है.

दिप्रिंट से फोन पर बातचीत में अवामी लीग के वरिष्ठ नेता और बांग्लादेश के पूर्व सूचना मंत्री प्रोफेसर मोहम्मद अली अराफात ने कहा कि यह आरोप पूरी तरह निराधार है. अराफात ने सवाल किया, “इसके अलावा, आलमगीर किस चुनाव की बात कर रहे हैं? क्या यह वही एकतरफा, पहले से तय और हेरफेर वाला चुनाव है, जिसकी उनके दल को उम्मीद है, जहां वह लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित करके भारी जीत हासिल करना चाहते हैं, ऐसे तथाकथित ‘समावेशी चुनाव’ में, जिसमें अवामी लीग, जातिया पार्टी और 14-पार्टी गठबंधन की पार्टियों को ही बाहर कर दिया जाए?”

‘हम चाहते हैं निष्पक्ष चुनाव’

अराफात ने कहा कि अवामी लीग का बांग्लादेश में होने वाले अगले चुनाव को बिगाड़ने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा, “इसके उलट, हम एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं—कुछ ऐसा जिसकी इच्छा बांग्लादेश की जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों ही करते हैं.”

अराफात ने आगे कहा कि एक सच्चे समावेशी चुनाव में, जहां हर राजनीतिक दल को बराबरी का मौका मिले, अवामी लीग को पूरा भरोसा है कि उसे एक बार फिर जनता का जनादेश मिलेगा. उन्होंने कहा, “इसलिए हमारे द्वारा चुनाव रोकने का सवाल ही नहीं उठता. बल्कि असल में आलमगीर और उनकी पार्टी लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, हेरफेर वाले चुनाव की साज़िश रचकर, जिससे जनता को उनके मौलिक मतदान अधिकार से वंचित किया जा सके और वे बेईमानी से सत्ता पर काबिज़ हो सकें.”

छात्र लीग (अवामी लीग का छात्र संगठन), जिसे 23 अक्तूबर 2024 को यूनुस सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून, 2009 के तहत प्रतिबंधित कर दिया था, उसके अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने दिप्रिंट से कहा कि अवामी लीग कभी नहीं चाहेगी कि बांग्लादेश में चुनाव रोके जाएं.

उन्होंने कहा, “हमारे देश में 8 अगस्त पिछले साल से गैर-निर्वाचित, गैर-कानूनी सरकार है जिसने बांग्लादेश को संकट में डाल दिया है. अब सिर्फ अवामी लीग ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश की जनता भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहती है और एक निर्वाचित सरकार चाहती है, ताकि देश में स्थिरता वापस लाई जा सके.”

हुसैन ने आगे कहा कि वास्तव में बीएनपी को बांग्लादेश की जनता को जवाब देना चाहिए, क्योंकि देश में जो अराजकता और कानूनहीनता सामान्य हो चुकी है, उसके लिए वही ज़िम्मेदार हैं.

बांग्लादेशी राजनीतिक पत्रकार साहिदुल हसन खोकन ने दिप्रिंट से कहा कि यह आरोप-प्रत्यारोप का मौसम नहीं बनना चाहिए, बल्कि सभी राजनीतिक दलों को अगले चुनाव पर सहमति बनाने की कोशिश करनी चाहिए. खोकन ने कहा, “यह तथ्य कि बीएनपी के इतने वरिष्ठ नेता ने जतिया प्रेस क्लब से हसीना पर ऐसे आरोप लगाए हैं, लोगों को सोचने पर मजबूर कर सकता है, लेकिन आलमगीर की बात पर यकीन करना मुश्किल है.”

खोकन ने आगे कहा कि अवामी लीग के शीर्ष नेतृत्व के कुछ हिस्से, साथ ही मध्य स्तर के नेता और कार्यकर्ता, दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं और उनमें से कई आर्थिक संकट में हैं. उन्होंने कहा, “ऐसी स्थिति में यह तर्कसंगत नहीं लगता कि शेख हसीना चुनाव न कराने के लिए इतनी बड़ी रकम लेंगी. यह बीएनपी की ओर से बिना किसी तथ्य के जानबूझकर किया गया बदनाम करने का प्रयास लगता है.”

शेख हसीना 5 अगस्त 2024 से भारत में रह रही हैं, जब सरकारी नौकरियों में कोटा व्यवस्था के खिलाफ छात्र आंदोलन उनकी सत्ता से बेदखली का कारण बना.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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