मुंबई, 26 अगस्त (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने गणेश उत्सव के दौरान मुंबई में कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा कि मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे प्राधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकते।
अदालत ने साथ ही कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे एवं न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने कहा कि लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं लेकिन प्रदर्शन केवल निर्धारित स्थानों पर ही होने चाहिए।
पीठ ने कहा कि सरकार इस बारे में निर्णय ले सकती है कि प्रतिवादी (जरांगे) को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए नवी मुंबई के खारघर में कोई वैकल्पिक स्थान दिया जाए या नहीं, ताकि मुंबई में जनजीवन बाधित न हो।
जरांगे ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समूह के तहत मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को मंगलवार तक का समय देते हुए कहा था कि ऐसा नहीं होने पर वह मराठा समर्थकों के साथ मुंबई कूच करेंगे और 29 अगस्त को अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठेंगे।
अदालत ने कहा कि सार्वजनिक समारोहों और आंदोलन के लिए नए नियमों के तहत अनुमति लेने के बाद शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया जा सकता है।
पीठ ने कहा कि प्रतिवादी (जरांगे और उनके सहयोगी) संबंधित प्राधिकारियों से इसकी अनुमति प्राप्त करने के लिए आवेदन दायर करने के वास्ते स्वतंत्र हैं और इसके बाद सरकार कानून के प्रावधानों के अनुसार इस पर निर्णय ले सकती है।
पीठ ने कहा, ‘‘सरकार प्रतिवादी को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए नवी मुंबई के खारघर में किसी वैकल्पिक स्थान की पेशकश भी कर सकती है ताकि मुंबई शहर में जीवन की गति बाधित न हो।’’
उसने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा कि बुधवार से शुरू हो रहे गणेश चतुर्थी उत्सव के दौरान पुलिस शहर की कानून-व्यवस्था की स्थिति को संभालने में व्यस्त रहेगी।
उच्च न्यायालय ने प्रस्तावित आंदोलन को चुनौती देने वाली एमी फाउंडेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए।
महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत से कहा कि राज्य सरकार शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने के नागरिकों के अधिकार को चुनौती नहीं देती लेकिन इसका इस्तेमाल इस तरह से नहीं होना चाहिए जिससे शहर ठप हो जाए।
उन्होंने कहा कि गणेश चतुर्थी उत्सव के दौरान पुलिस बल पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने का अत्यधिक बोझ होता है और बड़ी संख्या में लोगों का एकत्र होना भारी तनाव एवं गंभीर असुविधा का कारण बनेगा।
पीठ ने जरांगे को नोटिस जारी कर याचिका पर उनका जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई नौ सितंबर के लिए निर्धारित कर दी।
भाषा सिम्मी मनीषा
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