नयी दिल्ली, 21 अगस्त (भाषा) भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के चेयरपर्सन रवि मित्तल ने बृहस्पतिवार को कहा कि आईबीसी कानून में प्रस्तावित संशोधन से दबाव में फंसी परिसंपत्तियों के समाधान की प्रक्रिया तेज होगी और समय की भी बचत होगी।
मित्तल ने उद्योग मंडल एसोचैम की गोलमेज बैठक में कहा कि आईबीसी कानून में संशोधनों के लागू हो जाने के बाद संकटग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान में लगने वाला समय घटने की उम्मीद है।
सरकार ने 12 अगस्त को लोकसभा में दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन का विधेयक पेश किया था। इसमें दिवाला समाधान आवेदन की स्वीकृति में लगने वाला समय में कटौती, वास्तविक व्यावसायिक नाकामी के लिए अदालत के बाहर मामले के निपटान की व्यवस्था, समूह और सीमापार दिवाला ढांचा के प्रस्ताव किए गए हैं।
आईबीबीआई प्रमुख ने कहा कि समाधान प्रक्रिया के दौरान कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) और समाधान पेशेवर (आरपी) के बीच समन्वय होना बेहद अहम है।
उन्होंने परामर्शदाताओं, सलाहकारों, बैंकरों एवं ऋणदाताओं से भी सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया ताकि दिवाला समाधान की विश्वसनीयता बढ़े और दिवाला तंत्र को मजबूत किया जा सके।
आईबीसी कानून 2016 में लागू हुआ था और अब तक इसमें छह बार संशोधन किए जा चुके हैं। इसमें पहला संशोधन 2017 में हुआ, इसके बाद 2018 में एक बार, 2019 में दो बार और 2020 एवं 2021 में एक-एक बार संशोधन किए गए।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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