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Wednesday, 20 August, 2025
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रिजर्व बैंक सिद्धांत एवं परिणाम-आधारित विनियमन की ओर बढ़ रहा है: डिप्टी गवर्नर राव

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मुंबई, 20 अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा कि केंद्रीय बैंक धीरे-धीरे सिद्धांत एवं परिणाम-आधारित नियमन की ओर बढ़ रहा है। इससे विनियमित इकाइयों (आरई) के परिचालन में मजबूती आएगी और उनकी गतिविधियों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सकेगा।

उन्होंने सोमवार को भारतीय प्रबंध संस्थान कोझिकोड (आईआईएम-के) में वित्तीय बाजार विनियमन पर डीओपीटी एमडीपी को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी आदर्श नियामक दृष्टिकोण नहीं है। हालांकि, सिद्धांत और परिणाम-आधारित विनियमन आमतौर पर परिपक्व बाजारों के लिए अधिक उपयुक्त पाया जाता है।

राव ने कहा कि फिर भी, जब उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा की बात आती है तो विकसित अर्थव्यवस्थाएं भी नियम-आधारित ढांचे का रुख करती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम केंद्रीय बैंक में धीरे-धीरे सिद्धांत और परिणाम-आधारित विनियमों की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि यह विनियमित इकाइयों को उनके कार्यों के संचालन के लिए परिचालन लचीलापन प्रदान करता है। उनकी गतिविधियों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप ढालता है। साथ ही उनसे अपेक्षित परिणाम प्रदान करने के लिए नियामकीय ढांचे का अनुपालन भी करता है।’’

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को उनका भाषण अपनी वेबसाइट पर साझा किया।

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि नियामकों को नियम बनाते समय अक्सर जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसके लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाना जरूरी हो जाता है। उभरते जोखिमों से निपटने के लिए, लचीलापन सुनिश्चित करने को सूक्ष्म एवं अनुकूल रणनीतियों की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ नियामकों को एक ऐसी वित्तीय प्रणाली बनाने में मदद करने के लिए अधिक सक्रिय मानसिकता अपनानी चाहिए जो लचीली एवं अनुकूल दोनों हो। सक्रिय होने का अर्थ है नवाचार को अपनाना और डेटा एवं प्रौद्योगिकी का पूरा लाभ उठाना।’’

राव ने कहा कि नियामकों को अपनी आंतरिक एवं पर्यवेक्षी दक्षता बढ़ाने, नियामकीय जोखिम का निरीक्षण करने और उसकी दक्षता को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का और अधिक लाभ उठाने की आवश्यकता है।

भाषा निहारिका अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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