नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 के दंगों के एक मामले में तीन लोगों को आगजनी और आपराधिक साजिश समेत विभिन्न आरोपों से बरी कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परवीन सिंह ने तीनों के खिलाफ दयालपुर थाने द्वारा दर्ज एक मामले में सुनवाई की।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, अकील अहमद उर्फ पापड़, रहीस खान और इरशाद दंगाई भीड़ का हिस्सा थे, जिसने 25 फरवरी, 2020 को हिंसा के दौरान कई वाहनों और मकानों में आग लगा दी और तोड़फोड़ की।
न्यायाधीश ने 14 अगस्त को एक आदेश में आरोपियों को बरी करते हुए कहा, ‘गवाहों की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह, केस डायरी में संभावित हेरफेर और जांच के लापरवाह तरीके को देखते हुए, अदालत की राय में अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित करने में विफल रहा है।’
चालीस पृष्ठ के आदेश में पुलिस के कुछ गवाहों के आचरण पर भी चिंता जताई गई, जो ‘एक ही थाने में तैनात होने’ और आरोपियों के नाम जानने के अलावा 25 फरवरी, 2020 को घटना के गवाह होने के बावजूद, ‘इसके बारे में जांच अधिकारी को कभी सूचित नहीं किया।’
अदालत ने घटना के समय को लेकर पुलिस गवाहों की गवाही में विरोधाभास को भी रेखांकित किया। आदेश में आरोपियों की गिरफ्तारी के तरीके पर भी ‘गंभीर’ संदेह जताया गया।
अदालत ने कहा, ‘आरोपपत्र और जांच अधिकारी हीरो होंडा शोरूम में आग लगने के बारे में पूरी तरह चुप हैं। यह घटना, जो इस प्राथमिकी का प्रारंभिक बिंदु बनी और बाद में अन्य घटनाओं को इसमें शामिल कर दिया गया, उसकी जांच क्यों नहीं की गई, यह कहीं नहीं बताया गया है।’
भाषा आशीष अविनाश
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