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Monday, 18 August, 2025
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रेलवे ने वित्त वर्ष 2022-23 में परिचालन खर्च 5,000 करोड़ रुपये कम दिखायाः कैग रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल ने वित्त वर्ष 2022-23 में अपने परिचालन खर्च को 5,000 करोड़ रुपये से अधिक कम करके दिखाया।

हाल ही में संसद के पटल पर रखी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने अपनी कमाई एवं खर्च के आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 2,517.38 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दिखाया। लेकिन यात्री सेवाओं के घाटे का माल ढुलाई से हुई कमाई से समायोजन किए जाने पर 5,257.07 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा सामने आया।

बही-खाते के ऑडिट में पाया गया कि रेलवे का कुल कार्यशील व्यय (विभिन्न कोषों में प्रावधान सहित) 2,37,659.58 करोड़ रुपये रहा जबकि यात्री परिवहन, माल ढुलाई एवं अन्य सेवाओं से इसकी आय 2,40,176.96 करोड़ रुपये रही। इस तरह रेलवे के बही-खाते में 2,517.38 करोड़ रुपये का अधिशेष नजर आया।

हालांकि, यात्री एवं अन्य कोच सेवाओं पर दी जाने वाली ‘क्रॉस-सब्सिडी’ से संबंधित आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन अवधि में रेलवे का कुल खर्च 2,45,393.71 करोड़ रुपये और कुल आय 2,40,136.64 करोड़ रुपये रही। इस तरह रेलवे को कुल 5,257 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

कैग की रिपोर्ट कहती है, ‘‘इस आंकड़े से ऐसा निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वित्तीय लेनदेन के सार में कुल कार्यशील व्यय को कम करके दिखाया गया है। खर्च को कम दिखाने से वास्तविक परिचालन अनुपात (ओआर) नहीं दिखेगा।’’

इसके मुताबिक, रेलवे ने 2022-23 में ओआर 98.10 प्रतिशत दिखाया जबकि सही खर्च जोड़ने पर यह 101.33 प्रतिशत होता। बजट अनुमान में इसका लक्ष्य 96.98 प्रतिशत रखा गया था।

कैग ने बताया कि रेलवे ने यात्री सेवाओं से 74,289.66 करोड़ रुपये और माल ढुलाई सेवाओं से 1,65,846.98 करोड़ रुपये कमाए। इसका यात्री सेवाओं पर खर्च 1,34,330.84 करोड़ रुपये और माल सेवाओं पर 1,11,062.87 करोड़ रुपये रहा।

इस तरह रेलवे को वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान यात्री सेवाओं में 60,041.18 करोड़ रुपये का घाटा हुआ जबकि उसने माल सेवाओं में 54,784 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया।

कैग रिपोर्ट कहती है, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान माल ढुलाई से हुए लाभ का इस्तेमाल यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं में हुए घाटे की आंशिक भरपाई के लिए किया गया।’’

रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक परिचालन घाटा शयनयान श्रेणी (17,819.21 करोड़ रुपये), सामान्य श्रेणी (17,076.90 करोड़ रुपये) और द्वितीय श्रेणी (16,357.02 करोड़ रुपये) में दर्ज किया गया।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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