नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी एचपीसीएल के चेयरमैन विकास कौशल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने रूसी तेल की खरीद को रोकने या जारी रखने को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया है और पेट्रोलियम कंपनियां केवल आर्थिक आधार पर इस बारे में फैसला कर रही हैं।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के तिमाही नतीजों पर निवेशकों के साथ चर्चा के दौरान कौशल ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में एचपीसीएल द्वारा रिफाइन किए गए कुल कच्चे तेल में रूसी तेल की हिस्सेदारी 13.2 प्रतिशत रही और इसकी आपूर्ति पूरी तरह बंद होने पर भी कोई ‘महत्वपूर्ण’ असर नहीं पड़ेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो दिन पहले ही रूसी तेल आयात जारी रखने की वजह से भारतीय उत्पादों के आयात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की। इसके साथ ही अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर अब कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो जाएगा।
ट्रंप की इस घोषणा के बाद सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों पर रूसी तेल की खरीद को लेकर सरकार से निर्देश आने की संभावना जताई जा रही थी।
हालांकि कौशल ने कहा, ‘सरकार की ओर से रूसी तेल का आयात बंद करने या (जारी रखने) के लिए कोई भी दिशानिर्देश या निर्देश नहीं आया है। हम विशुद्ध रूप से व्यावसायिक गुणदोष के आधार पर आयात करने के लिए स्वतंत्र हैं।’
इसके साथ ही एचपीसीएल चेयरमैन ने कहा कि रूस से अगस्त एवं सितंबर में आपूर्ति के लिए कोई भी ऑर्डर नहीं दिया गया है क्योंकि कच्चे तेल के दाम में मिल रही छूट घटकर लगभग दो डॉलर प्रति बैरल रह गई है। ऐसे में अन्य स्रोतों से तेल खरीदना लगभग समान लागत पर ही संभव है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जून तिमाही में रूसी तेल की खरीद सिर्फ 13.2 प्रतिशत ही रखने का फैसला भू-राजनीतिक कारणों से नहीं बल्कि शुद्ध रूप से आर्थिक गणना के आधार पर लिया गया।
कौशल ने कहा कि यदि भविष्य में रूसी तेल की कीमत फिर से प्रतिस्पर्धी हुई तो कंपनी उसे खरीदने के लिए तैयार होगी।
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