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Thursday, 14 August, 2025
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Subscriber Writes: सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव तथा उससे उत्पन्न तनाव, इसके फायदे और नुकसान

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सोशल मीडिया आज के समय में हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है जिसके बिना जीवन का कल्पना अधूरा सा लगता है परिवर्तन संसार का नियम है लेकिन अगर परिवर्तन सही दिशा में हो तो हमें उसे स्वीकार करना चाहिए लेकिन परिवर्तन गलत दिशा में हो तो उसका बहिष्कार करना चाहिए या फिर यह सोचना चाहिए कि उसका इस्तेमाल कितना करें.

सोशल मीडिया के प्रभाव से आज कोई भी बच नहीं पाया है कोई भी व्यक्ति इससे वंचित नहीं है किसी न किसी रूप में हम सभी सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान के दायरे में है.

सोशल मीडिया के फायदे:

1. जानकारी प्राप्त करने का साधन और अपनी बातों को रखने का माध्यम.

2. लोगों से जुड़ने का जरिया और नई-नई चीजों को सीखने का और देखने का नजरिया सोशल मीडिया से मिलता है.

सोशल मीडिया से नुकसान:

1. समय की बर्बादी

आज हम घंटे तक का समय सोशल मीडिया पर बिता देते है.

2. मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव

3. निजता की कमी

आज के जमाने में प्राइवेसी एक्जिस्ट ही नहीं करता कब कौन आपकी तस्वीर ले AI के माध्यम से कब कौन सी वीडियो वायरल कर दी जाए, कब आपका कोई तस्वीर एडिट कर दिया जाए हर समय आप इसी के घेरे में रहते हैं. प्राइवेसी एक जमाने की बात थी अब नहीं है.

4. फेक न्यूज़ और अफवाहों बाजार

हमारे समाज का सबसे बुरी आदत है कि वह अफवाहों पर जल्दी ध्यान देता है.

हम सभी मोबाइल फोन के मरीज हो गए हैं मोबाइल से बोर होते हैं फिर 5 मिनट बाद मोबाइल ही उठते हैं क्योंकि यह मामला हारमोंस का है डोपामाइन रिलीज होता है. आज हमारे समाज में इतने इनफॉरमेशन है, कि यह तय करना मुश्किल है कि क्या गलत है? क्या सही है. हर वीडियो कुछ ना कुछ मैसेज कन्वे कर रहा है. हर इंसान अपने फायदे की बात बताता है उसको आपके फायदे नुकसान से कोई फर्क नहीं पड़ता है.

ट्रोल जैसी आर्मी का एक नया समूह है जो चंद पैसे लेकर के आईटी सेल के माध्यम से किसी को भी बदनाम करने की कोशिश करते हैं.

एक बार सुकरात से किसी ने पूछा कि आप बहुत ज्ञानी हैं आप बहुत विद्वान हैं आपकी इस ज्ञान का राज क्या है?

सुकरात ने कहा कि मैं ज्ञानी नहीं हूं अगर आपको लगता है कि मैं ज्ञानी हूं मैं मान लेता हूं कि मैं ज्ञानी हूं,

मैं ज्ञानी इसलिए हूं कि मुझे मालूम है कि मुझे कुछ नहीं आता.

अपनी अज्ञानता को जानना ही ज्ञानी का पहचान है.

आज के युग में हर व्यक्ति खुद को ज्ञानी समझता है.

गलत इनफार्मेशन का अंजाम तो महाभारत में भी देखने को मिलता है जब श्री कृष्ण को लगा की द्रोणाचार्य को रहते हुए कौरवों को हराना मुश्किल है तो उन्होंने अफवाह फैलाई की अश्वत्थामा मारा गया. यह खबर जैसे ही द्रोणाचार्य को पता चला उन्होंने अपने समय के सबसे नैतिक व्यक्ति विश्वसनीय व्यक्ति युधिष्ठिर से पूछा,

क्या अश्वत्थामा मारा गया?

युधिष्ठिर ने कहा “अश्वत्थामा हतो, नरो, वा कुंजरो वा.

युधिष्ठिर ने तो सत्य ही कहा कि हाथी मारा गया लेकिन तब तक कृष्ण ने शंख बजा दी और द्रोणाचार्य सुन नहीं पाए

कि उनका बेटा मारा या हाथी मरा उन्होंने अपनी धनुष बाण को फेंक कर जमीन पर हर युद्ध भूमि में घुटनों के बल बैठ गए.

तब धृष्टद्युम्न ने उनकी हत्या कर दी.

अगर द्रोणाचार्य जैसे योग व्यक्ति मिस इनफॉरमेशन के शिकार हो सकते हैं गलत सूचना से हराया जा सकते हैं तो हम और आप तो हर वक्त सोशल मीडिया से गिरे हैं हम कैसे सही फैसला ले सकते हैं यह एक बहुत बड़ी चुनौती है.

वर्तमान उदाहरण से समझाएं तो उत्तर प्रदेश बोर्ड की टॉपर एक लड़की को हमारे समाज के कुछ बदतमीज लोगों ने खूब ट्रोल किया लोगों ने उसके टैलेंट को नहीं देखा. उसके लुक्स पर खूब कमेंट किया. प्राची निगम से जब पूछा गया उसने कहा मैंने इस बात का स्ट्रेस नहीं लिया, लेकिन अगर उसके जगह कोई कमजोर व्यक्ति होता तो सोशल मीडिया के कारण अपना जिंदगी खत्म कर देता.

सोशल मीडिया ने बहुत कुछ छीना भी है बहुत कुछ दिया भी है.

मेरी एक व्यक्तिगत अनुभव है हम जिस परंपरा में बड़े हुए उसमें हम जब छोटे थे तो सुबह मेरे घर पर गीता का पाठ होता था और रात को रामायण की पाठ होती थी लेकिन जैसे-जैसे सबके हाथों में मोबाइल फोन आया यह परंपरा मेरे घर से नष्ट हो गई और मुझे तकलीफ है कि इस स्मार्टफोन ने हमसे हमारी वह परंपरा छीन ली बदले में आनंद तो दिया, लेकिन सकून छीन लिया.

अंत में इतना ही कहना चाहूंगी, अगर आप सोशल मीडिया को कंट्रोल करते हैं तो ठीक है अगर सोशल मीडिया आपको कंट्रोल करता है तो चिंता का विषय हैं.

(इस लेख को ज्यों का त्यों प्रकाशित किया गया है. इसे दिप्रिंट द्वारा संपादित/फैक्ट-चैक नहीं किया गया है.)

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