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Saturday, 9 August, 2025
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एम्स पटना के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, लेकिन JDU विधायक से टकराव ने नीतीश की बढ़ाई मुश्किलें

एम्स पटना के रेजिडेंट डॉक्टर 1 अगस्त से हड़ताल पर थे. यह हड़ताल जदयू विधायक चेतन आनंद (पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे) से विवाद के बाद शुरू हुई थी. गतिरोध सुलझाने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने आनंद मोहन से मुलाकात की.

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नई दिल्ली: भले ही पटना एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने मंगलवार को अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस ले ली, लेकिन जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विधायक चेतन आनंद से टकराव का मामला अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के पास पहुंच गया है. विवाद ने डॉक्टरों की हड़ताल और चेतन आनंद द्वारा माफी न मांगने की ज़िद्द ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुश्किल में डाल दिया है.

एम्स पटना के डॉक्टर पांच दिन से हड़ताल पर थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि बिहार के शिवहर से जदयू विधायक और पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद और उनकी पत्नी आयुषी सिंह ने देर रात अस्पताल में एक मरीज़ को देखने पहुंचे दौरान डॉक्टरों के साथ मारपीट की, उन्हें धमकाया और बंदूक दिखाकर डराया.

डॉक्टरों का कहना है कि विवाद तब शुरू हुआ जब एम्स के गार्ड्स ने विधायक के बॉडीगार्ड्स को अंदर जाने से रोका. इसके बाद रेजिडेंट डॉक्टरों और चेतन आनंद के साथियों के बीच झड़प हुई. एम्स प्रशासन ने रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की ओर से चेतन आनंद और उनके समर्थकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

वहीं चेतन आनंद ने इन आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि एम्स के स्टाफ और डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से बदसलूकी की. उन्होंने और उनकी पत्नी ने भी एफआईआर दर्ज करवाई है, जिसमें कहा गया कि जब वे एम्स में भर्ती अपने एक समर्थक को देखने पहुंचे तो स्टाफ ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया.

प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर चेतन आनंद से माफी की मांग कर रहे थे और उन पर दर्ज एफआईआर को वापस लेने की भी मांग कर रहे थे, जैसा कि जून में गोवा के स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों से सार्वजनिक माफी मांगी थी. रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने शिकायत में कहा, “विधायक, उनकी पत्नी और हथियारबंद बॉडीगार्ड जबरन अस्पताल में घुसे, सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट की, डॉक्टरों को जान से मारने की धमकी दी और बंदूक लहराई. एक गार्ड को गंभीर चोटें आईं और डॉक्टरों को उनके ही कार्यस्थल में गालियां दी गईं और धमकाया गया.”

चेतन आनंद ने अपनी शिकायत में कहा, “मुझे सुरक्षा गार्ड के साथ अस्पताल में घुसने नहीं दिया गया. इस पर मेरी पत्नी ने हस्तक्षेप किया.”

उन्होंने आगे कहा, “उसी समय अन्य स्टाफ सदस्य आ गए और मेरी पत्नी से बदतमीजी करने लगे. उन्होंने मेरी पत्नी के साथ मारपीट की. मुझे हस्तक्षेप करना पड़ा. मेरी पत्नी की कलाई और पीठ में चोटें आई हैं. मुझे भी कुछ समय के लिए स्टाफ ने बंधक बना लिया था. आखिर में हम स्थानीय थाने गए और शिकायत दर्ज करवाई.”

आनंद की पत्नी ने अपनी शिकायत में कहा कि जब उनके पति ने तस्वीर लेने और स्वास्थ्य मंत्री को कॉल करने की कोशिश की, तो रेजिडेंट डॉक्टरों ने “हंगामा किया, गालियां दीं और उनकी घड़ी छीन ली.”

अब जब विधायक और डॉक्टर दोनों ही मामला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा तक ले गए हैं, तो यह विवाद नीतीश कुमार के लिए एक राजनीतिक संकट बन गया है.

जदयू के नेताओं ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि नीतीश कुमार पार्टी के प्रभावशाली नेता आनंद मोहन को नाराज़ नहीं कर सकते, जिनका राजपूत समुदाय में बड़ा असर है.

अप्रैल 2023 में, नीतीश सरकार ने बिहार जेल मैनुअल में संशोधन कर वह प्रावधान हटा दिया था, जिसके तहत सरकारी अफसर की हत्या करने वालों को अच्छे व्यवहार के आधार पर रिहा नहीं किया जा सकता था. आनंद मोहन 1994 में एक सरकारी अधिकारी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सज़ा काट रहे थे.

सोमवार को सीएम नीतीश कुमार ने आनंद मोहन से मुलाकात की ताकि गतिरोध को सुलझाया जा सके. जदयू के एक नेता ने कहा, “राजपूतों और कुशवाहाओं के बीच तनाव के कारण एनडीए के उम्मीदवार आरा, औरंगाबाद और करकट जैसी लोकसभा सीटों पर हार गए, लेकिन शिवहर में लवली आनंद की जीत ‘आनंद मोहन फैक्टर’ की वजह से हुई. बिहार में 3.45 फीसदी राजपूत हैं और पिछली विधानसभा में 28 राजपूत विधायक जीते थे, जो इस समुदाय की ताकत दिखाता है.”


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‘सर पर बंदूक रखकर इलाज नहीं कर सकते’

AIIMS पटना में रेज़िडेंट डॉक्टर और जेडीयू विधायक चेतन आनंद के बीच टकराव अब स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा तक पहुंच गया है. मंगलवार को डॉक्टरों ने अपनी पांच दिन की हड़ताल तो वापस ले ली, लेकिन मांगें जस की तस बनी हुई हैं—विधायक से माफी और डॉक्टरों पर दर्ज एफआईआर की वापसी.

AIIMS पटना के रेज़िडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (RDA) के प्रतिनिधियों ने अस्पताल निदेशक से मुलाकात कर विधायक के खिलाफ कार्रवाई और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए ठोस उपाय की मांग की. इस पर अस्पताल प्रशासन ने 500 सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा किया और जांच के लिए एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी भी बनाई है.

आरडीए के प्रतिनिधि डॉ. कैलाश ने दिप्रिंट से कहा, “1 अगस्त से ओपीडी और ओटी की सेवाएं बंद हैं. पांच दिन से हम मांग कर रहे हैं कि डॉक्टरों पर से एफआईआर हटाई जाए और विधायक माफी मांगे, जैसे गोवा के स्वास्थ्य मंत्री ने किया था. हम पारदर्शी जांच चाहते हैं—हम सर पर बंदूक रखकर इलाज नहीं कर सकते, हम अपराधी नहीं, डॉक्टर हैं.”

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी अस्पताल प्रशासन ने सुरक्षा के वादे किए थे, लेकिन कभी पूरे नहीं किए. “कैसे भरोसा करें? उस वक्त न टेंडर निकला, न कैमरे लगे. अब हमने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री नड्डा जी को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है.”

AIIMS निदेशक डॉ. सौरभ वर्शने ने दिप्रिंट को बताया कि अस्पताल ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है और समाधान की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. डॉक्टरों की मुख्य मांग है कि पुलिस शिकायत से एक छात्र का नाम हटाया जाए.

वहीं, चेतन आनंद ने सोशल मीडिया पर डॉक्टरों की हड़ताल की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा: “क्या आप जानते हैं?? इन मुस्कुराहटों का राज़ है—कोलगेट!! और स्ट्राइक के नाम पर फ्री हॉलीडे! AIIMS ऐसा होना चाहिए जैसे दिल्ली का AIIMS है, नहीं तो बिहार के बाकी अस्पताल बेहतर हैं.”

मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “मेरी पत्नी को चोटें आई हैं. डॉक्टरों ने बदसलूकी की. माफी का सवाल ही नहीं उठता. दोष AIIMS प्रशासन का है और डॉक्टरों की रजिस्ट्रेशन तक रद्द हो सकती है.”

आनंद मोहन और परिवार का दबदबा

बिहार के कुछ हिस्सों में रॉबिनहुड जैसे माने जाने वाले आनंद मोहन की राजनीतिक ताकत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार ने उनकी रिहाई के लिए जेल नियमावली तक बदल दी. 10 अप्रैल 2023 को बिहार कारा नियमावली, 2012 में संशोधन कर उस धारा को हटा दिया गया, जिसमें कहा गया था कि ड्यूटी पर तैनात किसी सरकारी कर्मचारी की हत्या के दोषियों को सज़ा में छूट नहीं दी जा सकती.

आनंद मोहन को 1994 में मुजफ्फरपुर के गैंगस्टर छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा के दौरान गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था.

अक्टूबर 2007 में एक निचली अदालत ने उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई थी, जिसे दिसंबर 2008 में पटना हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया.

उनके परिवार की राजनीतिक पकड़ इतनी मज़बूत है कि जब उनके बेटे चेतन आनंद की बहन की शादी हुई थी, तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और दिवंगत भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी तक, कई बड़े नेता उसमें शामिल हुए थे.

चेतन आनंद की शादी में भी नीतीश और तेजस्वी के अलावा बीजेपी नेता गिरिराज सिंह और राधा मोहन सिंह भी मौजूद थे.

जब आनंद मोहन जेल से रिहा हुए, तो बीजेपी ने नीतीश सरकार के इस फैसले पर निशाना साधा था. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस पर सोशल मीडिया पर आलोचना भी की थी, लेकिन आनंद मोहन के प्रभाव को देखते हुए, बिहार के बीजेपी नेता जैसे गिरिराज सिंह और राधा मोहन सिंह ने उनका बचाव किया.

उस समय जनता दल (यूनाइटेड) एनडीए का हिस्सा नहीं थी.

2024 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को शिवहर से टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज की. यह जीत राजपूत समुदाय की निष्ठा और आनंद मोहन की अब भी कायम लोकप्रियता को दर्शाती है.

आनंद मोहन ने राजनीति की शुरुआत जेपी आंदोलन के दौरान की थी, जब उन्होंने ‘समाजवादी क्रांति सेना’ नाम से युवा संगठन का नेतृत्व किया. 1990 में वह जनता दल के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव उन्होंने क्रमशः समता पार्टी और ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर शिवहर से जीते.

उनके राजनीतिक करियर का अहम मोड़ वह था जब उनकी पत्नी लवली आनंद ने पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा की पत्नी किशोरी सिन्हा को हराया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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