नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की प्रिंसिपल बेंच ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में चल रही निर्माण गतिविधियों से जुड़े कथित पर्यावरण उल्लंघनों पर कई अधिकारियों को विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया है.
यह मामला पर्यावरण कार्यकर्ता राजेंद्र त्यागी की याचिका से जुड़ा है. याचिका में बड़े पैमाने पर आवासीय और व्यावसायिक निर्माण पर चिंता जताई गई है, जो कथित तौर पर बिना सही पर्यावरण अनुमति के किए गए हैं. अतिरिक्त आरोपों में अवैध बोरवेल का इस्तेमाल और सीवेज सिस्टम जैसी ज़रूरी सुविधाओं की कमी शामिल है.
सुनवाई के दौरान, ट्रिब्यूनल (चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. ए. सेंथिल वेल और डॉ. अफ़रोज़ अहमद) ने नोएडा अथॉरिटी द्वारा दायर एक हलफ़नामे पर गौर किया.
हालांकि हलफ़नामे में कहा गया कि अवैध निर्माणों के खिलाफ कदम उठाए गए हैं, लेकिन ट्रिब्यूनल ने पाया कि इसमें ज़रूरी जानकारी नहीं है—जैसे उल्लंघन करने वालों के नाम, स्थान और कार्रवाई के विवरण.
इसके अलावा, पेश की गई तस्वीरें भी पुरानी निकलीं, जिनमें से अधिकतर नवंबर 2022 की थीं, यानी मौजूदा कार्यवाही से पहले की.
इसके बाद, ट्रिब्यूनल ने संबंधित संस्थाओं को तीन हफ्तों में अपडेटेड और विस्तृत हलफ़नामे दाखिल करने का समय दिया. नोएडा अथॉरिटी को अब नए हलफ़नामे में अवैध निर्माणों का पूरा डेटा और की गई कार्रवाई की जानकारी देनी होगी.
इसी तरह, ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी को भी अपने कदमों का ब्यौरा देना होगा. गौतम बुद्ध नगर के ज़िला मजिस्ट्रेट से रिपोर्ट मांगी गई है जिसमें इस मुद्दे को हल करने के लिए किए गए उपाय बताए जाएं.
वहीं, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को साइट का व्यापक निरीक्षण कर चल रहे उल्लंघनों का पता लगाने और सुधारात्मक कदम उठाने का आदेश दिया गया है. ज़िला भूजल प्रबंधन परिषद द्वारा दाखिल हलफ़नामा रिकॉर्ड में स्वीकार कर लिया गया है.
जियो-टैग्ड तस्वीरें (डेट स्टैंप के साथ) भी ट्रिब्यूनल में दी गईं, जिनमें दिखाया गया कि किन जगहों पर बिना ज़रूरी अनुमति—जैसे पर्यावरण मंजूरी (EC), कंसेंट टू एस्टेब्लिश (CTE) या कंसेंट टू ऑपरेट (CTO)—के निर्माण जारी हैं.
अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को होगी, तब तक ट्रिब्यूनल उम्मीद करता है कि सभी संबंधित अधिकारी अपने अपडेटेड रिपोर्ट और हलफ़नामे दाखिल कर देंगे.
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