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Monday, 18 August, 2025
होमदेशमुंबई में कांजुरमार्ग भूमि को संरक्षित वन घोषित करने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक

मुंबई में कांजुरमार्ग भूमि को संरक्षित वन घोषित करने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक

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नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले पर शुक्रवार को रोक लगा दी, जिसमें मुंबई के कांजुरमार्ग क्षेत्र में 120 हेक्टेयर भूमि को ‘‘संरक्षित वन’’ का दर्जा बहाल कर दिया गया था।

शीर्ष अदालत के इस आदेश से ग्रेटर मुंबई नगर निगम द्वारा इस क्षेत्र ‘लैंडफिल’ के रूप में इस्तेमाल करने का रास्ता साफ हो गया।

बंबई उच्च न्यायालय ने दो मई को कांजुरमार्ग में कथित दलदलीय क्षेत्र की 119.91 हेक्टेयर भूमि की अधिसूचना रद्द कर दी थी और इसके संरक्षित वन का मूल दर्जा बहाल कर दिया था। नगर निगम ने इस भूमि को कचरा भराव क्षेत्र (लैंडफिल) के रूप में इस्तेमाल के लिए चिह्नित किया था।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर गौर किया कि इस क्षेत्र का इस्तेमाल कचरा भराव के लिए किया जाता है और इसे गलत तरीके से संरक्षित वन के रूप में अधिसूचित किया गया है।

पीठ ने कहा कि क्योंकि इस क्षेत्र को अनजाने में ‘‘संरक्षित वन’’ घोषित कर दिया गया था, इसलिए राज्य प्राधिकारियों ने इस स्थान को कचरा भराव क्षेत्र के रूप में इस्तेमाल करने के लिए अधिसूचित नहीं किया।

उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हम आदेश पर रोक लगाएंगे।’’

जब एक वकील ने आदेश का विरोध किया तो पीठ ने पूछा, ‘‘आप हमें बताएं कि अब कचरा कहां फेंका जा सकता है।’’

उच्च न्यायालय ने राज्य और मुंबई नगर निकाय की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि क्षेत्र को वन के रूप में वर्गीकृत करने वाली पूर्व अधिसूचना एक ‘‘गलती’’ थी।

उच्च न्यायालय का फैसला ‘वनशक्ति’ नामक सार्वजनिक ट्रस्ट द्वारा 2013 में दायर जनहित याचिका पर आया था, जिसमें कांजूर गांव में स्थित भूमि की अधिसूचना रद्द करने को चुनौती दी गई थी, जिसे संरक्षित वन के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

भाषा देवेंद्र पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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