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Saturday, 26 July, 2025
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ब्राह्मणों को ‘निशाना बनाए जाने’ पर, UP की मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने एक बार फिर अपनी ही सरकार को घेरा

पहले आंगनबाड़ी भर्ती में ‘गड़बड़ियों’ को लेकर कर चुकी हैं विरोध, अब अपने सहयोगियों को ‘निशाना’ बनाए जाने पर इंस्पेक्टर को हटाने की मांग. पूर्व सांसद पति अनिल शुक्ला का आरोप—ब्राह्मणों को ‘टारगेट’ किया जा रहा है.

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लखनऊ: आंगनबाड़ी भर्ती में ‘गड़बड़ियों’ को लेकर आवाज़ उठाने के कुछ महीने बाद, उत्तर प्रदेश की राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने राज्य पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उनके साथ धरने पर उनके पति और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वर्सी भी मौजूद रहे. अनिल शुक्ला ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार में ब्राह्मणों को निशाना बनाया जा रहा है.

प्रतिभा शुक्ला ने 24 और 25 जुलाई को कानपुर ज़िले के अकबरपुर थाने के बाहर धरना दिया. उनका आरोप था कि पुलिस ने उनके करीबी सहयोगियों को जानबूझकर निशाना बनाया है. उन्होंने मांग की कि स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर को हटाया जाए. पुलिस अधिकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन वे टस से मस नहीं हुईं.

प्रतिभा शुक्ला के करीबी लोगों के अनुसार, मामला तब शुरू हुआ जब कानपुर ज़िले के अकबरपुर नगर पंचायत क्षेत्र के बदलापुर इलाके में विधायक फंड से सड़क निर्माण का काम शुरू हुआ. वहां के एक पार्षद शमशाद ने सड़क की लोकेशन पर आपत्ति जताई और काम रुकवा दिया, जब प्रतिभा शुक्ला को इसकी जानकारी मिली, तो वे मौके पर पहुंचीं जहां उनके समर्थकों और पार्षद के बीच कहासुनी हो गई. उसी शाम ठेकेदार की शिकायत पर पार्षद शमशाद के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने और पैसे मांगने का मामला दर्ज किया गया.

इसके बाद बदलापुर के एक अनुसूचित जाति निवासी बाबूराम ने एक क्रॉस FIR दर्ज करवाई, जिसमें स्थानीय बीजेपी नेता और प्रतिभा शुक्ला के करीबी शिवा पांडे सहित कई लोगों को नामजद किया गया. इसी बात से नाराज़ होकर प्रतिभा शुक्ला और उनके पति ने धरना शुरू कर दिया.

मंत्री के पति और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला ने इस विवाद को और हवा दे दी जब उन्होंने अपनी ही पार्टी के सांसद भोले सिंह पर निशाना साधा. एक वायरल वीडियो में अनिल शुक्ला ने कहा, “अगर बीजेपी ने मेरी पत्नी को मंत्री नहीं बनाया होता, तो मैं 2024 का चुनाव अकबरपुर से लड़ता और भोले सिंह को हरा देता.” उन्होंने आरोप लगाया कि थाना भोले सिंह के लोगों के इशारे पर चल रहा है और वे ही परेशानियां खड़ी कर रहे हैं.

एक अन्य वीडियो में अनिल शुक्ला यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से बात करते नज़र आते हैं और सरकार पर ब्राह्मणों को संरक्षण न देने का आरोप लगाते हैं. बताया जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री ने फोन कॉल बीच में ही काट दी.

शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए अनिल शुक्ला ने दोहराया कि मौजूदा सरकार में ब्राह्मणों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने इशारों में कहा कि राज्य में अब सिर्फ एक जाति का दबदबा है—जिसे भोले सिंह (ठाकुर समुदाय) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जातीय जुड़ाव से जोड़ा गया.

प्रतिभा शुक्ला से पहले भी बीजेपी के कई नेताओं जैसे विधायक प्रकाश द्विवेदी और देवमणि द्विवेदी ने राज्य में ब्राह्मणों को निशाना बनाए जाने के आरोप लगाए हैं. अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की कुल आबादी में ठाकुर समुदाय लगभग 6% और ब्राह्मण समुदाय करीब 9% है. इन दोनों जातियों को 2017 से लगातार दो बार बीजेपी को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने वाला माना जाता है.

अनिल शुक्ला, प्रतिभा शुक्ला के पति और पूर्व बसपा सांसद हैं. वे 2015 में अपनी पत्नी के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे. इससे पहले वे समाजवादी पार्टी में भी रह चुके हैं. 2017 में प्रतिभा शुक्ला ने बीजेपी के टिकट पर अकबरपुर-रनियां विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. 2022 में उन्हें योगी सरकार में महिला कल्याण, बाल विकास एवं पोषण राज्य मंत्री बनाया गया.

शुक्ला पहले भी उठा चुकी हैं सवाल

फरवरी में उत्तर प्रदेश की राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला उस समय सुर्खियों में आई थीं जब आंगनवाड़ी भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उनका लिखा एक पत्र वायरल हुआ था. इस पत्र में उन्होंने अपने ही विभाग के अधिकारियों पर भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि जिलों के दौरे के दौरान उन्हें लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं. उन्होंने विशेष रूप से जिला कार्यक्रम अधिकारियों (DPO) और उनके कर्मचारियों को भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार ठहराया था.

अपने पत्र में शुक्ला ने लिखा था कि आवेदन लेने से लेकर उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग तक की सारी प्रक्रिया DPO की निगरानी में हो रही है, और इसी दौरान गड़बड़ियां की जा रही हैं.

प्रतिभा शुक्ला, योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल में ऐसी कुछ मंत्रियों में से एक हैं, जिन्होंने खुले तौर पर अपनी ही सरकार के अफसरों के खिलाफ सवाल उठाए हैं. उनसे पहले डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल, नंद कुमार नंदी, संजय निषाद, स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और राज्य मंत्री दिनेश खटीक भी अलग-अलग मौकों पर अफसरशाही के कामकाज पर सवाल उठा चुके हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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