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Saturday, 26 July, 2025
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‘PMO के करीबी’ ए.के. शर्मा फिर आए चर्चा में, लेकिन इस बार बिजली कटौती और वायरल बयानों को लेकर

कभी आईएएस रहते हुए मोदी के साथ नज़दीकी से काम किया, फिर बीजेपी में शामिल हुए और अब योगी सरकार में मंत्री हैं, लेकिन बिजली और शहरी विकास से जुड़े कई विवादों को लेकर आलोचनाओं में घिरे हैं.

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लखनऊ: जब ए.के. शर्मा ने 2021 में सिविल सेवा से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जॉइन की और योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में मंत्री बने, तो उन्हें उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार के ‘मुख्य व्यक्ति’ के तौर पर देखा गया. उस वक्त उनका यह बदलाव काफी सुर्खियों में रहा था. गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी शर्मा ने नरेंद्र मोदी के साथ पहले गुजरात में, जब वे मुख्यमंत्री थे और फिर प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएमओ में काफ़ी क़रीबी से काम किया.

अब अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश में, योगी सरकार में दो अहम विभागों—ऊर्जा और शहरी विकास—की जिम्मेदारी संभाल रहे शर्मा बीते तीन साल से लो-प्रोफाइल में थे, लेकिन हाल के दिनों में वे फिर से खबरों में हैं और इस बार वजहें अच्छी नहीं हैं.

हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में यूपी के ऊर्जा मंत्री शर्मा विभाग के अधिकारियों पर बैठक के दौरान गुस्से में भड़कते और तीखी भाषा का इस्तेमाल करते दिखे. इसके बाद उन पर एक खास समुदाय को निशाना बनाने के आरोप लगे हैं.

यह वीडियो बुधवार की उस बैठक का है जिसमें शर्मा ने उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के राज्यभर में तैनात इंजीनियरों और चेयरमैन आशीष कुमार गोयल को बुलाया था. अधिकारियों की बात सुनने के बाद शर्मा ने उन्हें जमकर फटकार लगाई और कहा कि वे जो हालात बता रहे हैं, वह यूपी की बिजली व्यवस्था की हकीकत से बहुत दूर हैं.

इससे पहले भी एक जनसभा के दौरान बिजली जाने का वीडियो वायरल हुआ था, जिस पर लोगों ने खूब तंज कसे. एक और वीडियो, जिसमें शर्मा से बिजली कटौती पर सवाल पूछे जाने पर वह ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने लगे, हाल ही में विपक्ष का निशाना बना.

कई बार शर्मा ऐसे वीडियो में भी दिखे हैं जहां लोग बिजली आपूर्ति की शिकायत कर रहे हैं और वे कुछ जवाब नहीं दे पा रहे.

सिर्फ ऊर्जा मंत्री के तौर पर ही नहीं, यूपी के शहरी विकास मंत्री के रूप में भी शर्मा को विरोध झेलना पड़ा है. 19 जुलाई को जब वे मथुरा के वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर पहुंचे, तो वहां स्थानीय व्यापारियों ने बीजेपी के प्रस्तावित मंदिर कॉरिडोर और ट्रस्ट के गठन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

ये विरोध करीब 50 दिन पहले ही शुरू हो चुके थे, लेकिन शर्मा को देखकर व्यापारियों ने नारेबाज़ी तेज़ कर दी — “कॉरिडोर है-है” जैसे नारे लगे. इसके बाद महिलाओं के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार की खबरें भी सामने आईं.


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बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक

हाल ही में सामने आए वीडियो में मंत्री ए.के. शर्मा बिजली विभाग के अधिकारियों से तीखी बातें करते दिखते हैं. उन्होंने कहा कि यूपी में लगातार बिजली कटौती के चलते विधायक तक उन पर सवाल उठा रहे हैं. शर्मा का कहना है कि उन्होंने हाल ही में कई ज़िलों का दौरा किया, जहां बिजली आपूर्ति को लेकर गंभीर समस्याएं मिलीं.

अधिकारियों पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा, “बकवास बंद करो. मैं ज़िलों से दौरा करके आया हूं. तुम लोग यहां बैठे हो—अंधे, बहरे और एक आंख खोलकर. जनता क्या झेल रही है, या तुम्हारे विभाग के बारे में क्या सोच रही है, तुम्हें कुछ नहीं पता. तुम झूठी रिपोर्टें भेजकर टॉप लीडरशिप को गुमराह कर रहे हो.”

शर्मा ने कहा कि बिजली विभाग की हालत तो पुलिस विभाग से भी ज़्यादा खराब है. “बिजली विभाग कोई साहूकार की दुकान नहीं है कि बस बिल वसूलो. ये जनता की सेवा के लिए है. फिर ऐसा क्यों है कि जब कुछ लोग समय पर बिल भरते हैं, तब भी पूरे फीडर या गांव की बिजली काट दी जाती है? जिनका ट्रांसफॉर्मर जल गया है और जो समय पर भुगतान कर रहे हैं, उनके ट्रांसफॉर्मर न बदले जाएं, तो ये कैसा न्याय है?”

उन्होंने यहीं बात खत्म नहीं की. शर्मा ने कहा, “ऐसा लग रहा है कि बिजली विभाग सरकार की छवि खराब करने में जुटा है. आज के डिजिटल युग में लोगों को गलती से करोड़ों के बिजली बिल मिल रहे हैं और फिर उन्हें ठीक करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है. विजिलेंस की रेड्स गलत जगहों पर होती हैं, असली बिजली चोरी पर कोई कार्रवाई नहीं होती. पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने से पहले भी पैसे लिए जाते हैं.”

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि बैठक में हुई हर बात को रिकॉर्ड किया जाए. “मैं भाषण देते-देते थक गया हूं. आप लोग मीटिंग में सुनते तो हो, लेकिन उसके बाद अपनी मर्जी से काम करते हो. ये रवैया अब नहीं चलेगा. मुझे जनता और विधानसभा को जवाब देना होता है. तुम्हें किसने हक दिया कि अपनी मनमानी करो? पूरे प्रदेश को तुम्हारे गलत और देर से लिए गए फैसलों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.”

इस बैठक का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है, लेकिन शर्मा की चेतावनी यहीं नहीं रुकी.

अगले दिन, गुरुवार को, उन्होंने बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को सीधी धमकी दी. उन्होंने कहा, “मैं तीन साल से समझा रहा था, अब वो समय खत्म हो गया है. अगर बिजली विभाग के अधिकारी सोचते हैं कि मंत्री ट्रांसफर या सस्पेंड नहीं कर सकता, तो समझ लो—अगर मैंने राम जी की तरह तीर चला दिया, तो तुम्हें दिल्ली से लेकर राष्ट्रपति भवन तक कोई नहीं बचा पाएगा.”

वायरल वीडियो और आलोचनाएं

बिजली विभाग के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि जिन-जिन ज़िलों में ए.के. शर्मा दौरे पर गए, वहां उन्हें स्थानीय नेताओं, व्यापारियों और आम लोगों की तीखी आलोचना झेलनी पड़ी. सोशल मीडिया पर भी उन्हें लगातार निशाने पर लिया जा रहा था. इसी दबाव और नाराज़गी का नतीजा था कि बुधवार की बैठक में उन्होंने इस तरह की तीखी प्रतिक्रिया दी.

उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही बिजली कटौती को लेकर शर्मा पर स्थानीय नेताओं और व्यापारियों ने कड़ी आलोचना की है.

20 जुलाई की बात है, जब वे रविवार रात मुरादाबाद के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पहुंचे थे. तभी कार्यक्रम के दौरान बिजली चली गई. इसका वीडियो वायरल हुआ और सोशल मीडिया पर उनकी जमकर खिल्ली उड़ाई गई.

ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लोग मंत्री शर्मा से अपने इलाकों में बार-बार बिजली जाने की शिकायत करते दिखते हैं. इनमें से कई मौकों पर शर्मा के पास कोई जवाब नहीं था.

इससे पहले, 12 जुलाई को एक और वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें बिजली आपूर्ति से जुड़े सवालों का जवाब देने के बजाय शर्मा “जय श्री राम” के नारे लगाते दिखे. इस वीडियो को लेकर विपक्ष ने तीखा हमला बोला.

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने यह वीडियो एक्स पर साझा करते हुए लिखा, “अब बिजली विभाग बीजेपी के बाज़ार में बिकेगा और प्राइवेट कंपनियों के मोटे बिल जनता की जेब पर बोझ डालेंगे. बीजेपी राज में बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण में कोई सुधार नहीं हुआ. जब जनता सवाल करती है, तो बीजेपी नेताओं की भी बिजली चली जाती है.”

शर्मा को तब भी आलोचना का सामना करना पड़ा जब उन्होंने 19 जुलाई को एक बयान में कहा, “ना बिजली आएगी, ना बिल.”

यह बयान उस समय आया जब बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मुफ्त बिजली यूनिट देने की योजना का ऐलान किया था. शर्मा के इस बयान को बिहार के मुख्यमंत्री पर तंज के तौर पर देखा गया, जबकि नीतीश की पार्टी एनडीए का हिस्सा है.

बाद में सफाई देते हुए शर्मा ने कहा कि उनका इशारा जनता दल यूनाइटेड (JDU) की ओर नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर था. उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी तेजस्वी यादव के उस वादे पर थी जिसमें उन्होंने चुनाव जीतने पर मुफ्त बिजली यूनिट देने की बात कही थी.


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उनकी यात्रा और सफाई

ए.के. शर्मा ने जनवरी 2021 में बीजेपी जॉइन की थी और मार्च 2022 में योगी आदित्यनाथ के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया.

शर्मा को यूपी सरकार में ‘पीएमओ का आदमी’ माना जाता है. हालांकि, वे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर किसी भी आधिकारिक बैठक में एक साथ नहीं दिखते. खुद योगी ने भी कभी शर्मा के काम करने के तरीके पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है.

पीएमओ से शर्मा का जुड़ाव 2014 में शुरू हुआ, जब उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव बनाया गया. फिर 2017 में वे अतिरिक्त सचिव के पद पर पदोन्नत हुए.

कोविड लॉकडाउन के दौरान, जब देश में प्रवासी संकट चरम पर था, तब अप्रैल 2020 में उन्हें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) का सचिव नियुक्त किया गया.

लेकिन महज़ नौ महीने बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में कदम रख दिया.

उत्तर प्रदेश में आने के बाद उन्हें योगी सरकार में दो अहम मंत्रालय—ऊर्जा और शहरी विकास—की जिम्मेदारी मिली.

पश्चिम यूपी के एक बीजेपी विधायक ने दिप्रिंट को बताया, “शर्मा जी बहुत समझदार व्यक्ति हैं, लेकिन उनका काम करने का तरीका अब भी अफसरों जैसा है. वे शायद ही कभी फोन उठाते हैं. सारा काम अपनी टीम के ज़रिए करते हैं, लेकिन राजनीति में स्थानीय नेताओं और जनता से सीधा संपर्क ज़रूरी होता है.”

बिजली विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “शर्मा जी को सिस्टम की गहरी समझ है और इसके लिए उन्हें सम्मान भी मिलता है, लेकिन बहुत से लोग उनके पास जाने से हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें पीएमओ के बहुत करीबी के तौर पर देखा जाता है. साथ ही, बिजली विभाग पर मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) का नियंत्रण है और अधिकारी सीधे सीएमओ से जुड़ जाते हैं.”

जब दिप्रिंट ने शर्मा से इस विवाद पर संपर्क करने की कोशिश की, तो उनके कार्यालय ने कहा कि वे इस पर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हैं.

हालांकि, गुरुवार शाम शर्मा ने एक्स पर एक स्पष्टीकरण पोस्ट किया. उन्होंने लिखा कि बुधवार की बैठक में दिए गए उनके बयान को जनता ने गलत समझा और सोशल मीडिया पर जो विवाद हुआ, उसमें यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने किसी खास समुदाय (बनिया) को निशाना बनाया.

शर्मा ने कहा कि उन्होंने कुछ बातें इसलिए कही थीं ताकि बिजली जैसी सार्वजनिक सेवाओं को लेकर सिस्टम ज़्यादा संवेदनशील और आम आदमी की अपेक्षाओं के अनुरूप बने. उन्होंने लिखा, “मैंने कहा था कि हम एक पब्लिक यूटिलिटी चला रहे हैं, न कि कोई व्यापारी की दुकान, जहां अगर आप पैसा नहीं दो तो सामान नहीं मिलेगा.”

शर्मा ने कहा कि लोगों ने उनके इस बयान को गलत तरीके से जोड़ दिया—जैसे कि उन्होंने कहा हो कि बिजली विभाग कोई बनिया की दुकान नहीं है, जहां पैसे दो तभी सेवा मिले. उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी फैली कि वे बनिया या वैश्य समुदाय की ईमानदारी/बेईमानी पर टिप्पणी कर रहे हैं. शर्मा ने अपील की कि लोग उनका ऑडियो ध्यान से सुनें—न तो उन्होंने ऐसा कुछ कहा, और न ही उनका ऐसा कोई इरादा था.

उन्होंने यह भी कहा कि लोग उनके बयान को उस संदर्भ में समझें, जिसमें उन्होंने विभाग की नाकामी पर भावनात्मक प्रतिक्रिया दी थी. “यह एक जनसेवा है…और हमें उसी भावना से काम करना होगा.”

शर्मा ने लिखा, “बनिया शब्द का मतलब किसी विशेष वर्ग से नहीं है. इसका उपयोग केवल यह समझाने के लिए किया गया था कि जनसेवा और व्यवसायिक काम में क्या फर्क होता है.”

अपने पोस्ट के अंत में उन्होंने यह भी लिखा, “महाजन, वैश्य या बनिया वर्ग का समाज में बहुत महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित स्थान रहा है. वे प्राचीन काल से ही भारतीय समाज और संस्कृति में ऊंचा स्थान रखते हैं. मैं उनका पूरी तरह से सम्मान करता हूं. जानबूझकर या अनजाने में, उन्हें अपमानित करने का मेरा कोई इरादा नहीं था—और न ही ऐसा हो सकता है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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