नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस के उस कथित सदस्य को जमानत देने से इनकार कर दिया जिस पर अपने संगठन के लिए हथियार और गोला-बारूद खरीदने और उसे बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया मंच का इस्तेमाल करने का आरोप है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने अधीनस्थ अदालत के हिरासत में रखने के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि यह आदेश यांत्रिक प्रकृति का नहीं था। पीठ ने कहा कि आरोपी मोहम्मद रिजवान अशरफ को जांच जारी होने के कारण रिहा नहीं किया जा सकता था क्योंकि उसे और अन्य को एक महत्वपूर्ण चरण में रिहा करने से जांच में बाधा उत्पन्न होती।
पीठ ने बृहस्पतिवार को दिए अपने फैसले में कहा, ‘‘यह अदालत इस बात से संतुष्ट है कि अधीनस्थ अदालत ने निर्धारित आधारों पर विचार किया है। अधीनस्थ अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसके द्वारा दी गई (रिमांड) अवधि को बढ़ाने के दौरान जांच में पर्याप्त प्रगति हुई है और जांच में कोई रुकावट नहीं आई है। अधीनस्थ अदालत के आदेश ने हिरासत को नियमित रूप से नहीं बढ़ाया, बल्कि विश्वसनीय सामग्री के आधार पर बढ़ाया, जिसमें जांच पूरी करन के लिए इसके आवश्यक चरणों को रेखांकित किया गया था।’’
अशरफ को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने एक अक्टूबर, 2023 को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था।
उसने कई मौकों पर अपनी हिरासत बढ़ाने के अधीनस्थ अदालत के विभिन्न आदेशों को चुनौती दी, जिसमें 24 फरवरी, 2024 का वह आदेश भी शामिल है जब उसकी न्यायिक हिरासत 25 दिनों के लिए बढ़ा दी गई थी। उसी दिन अधीनस्थ अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
भाषा संतोष नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.