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Monday, 28 July, 2025
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एफटीए में डेयरी उत्पाद, खाद्य तेल, सेब शामिल नहीं, 95 प्रतिशत कृषि निर्यात शुल्क-मुक्त

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नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) भारत ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में डेयरी उत्पादों, खाद्य तेल और सेब को शामिल नहीं किया है, जो घरेलू किसानों के हित में है। इसके साथ ही 95 प्रतिशत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर शून्य शुल्क सुनिश्चित किया है।

बृहस्पतिवार को हस्ताक्षरित एफटीए में जई पर भी कोई शुल्क रियायत नहीं दी गई है।

दूसरी ओर, हल्दी, काली मिर्च, इलायची जैसी भारतीय खाद्य वस्तुएं; आम का गूदा, अचार और दालें जैसी प्रसंस्कृत वस्तुएं; और झींगा और टूना जैसे समुद्री उत्पाद ब्रिटेन के बाजार में शुल्क-मुक्त पहुंच का लाभ लेंगे।

कृषि के क्षेत्र में ब्रिटेन 37.52 अरब डॉलर मूल्य के उत्पादों का आयात करता है, जबकि भारत से आयात केवल 81.1 करोड़ डॉलर का ही होता है।

वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत के किसान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के सबसे बड़े लाभार्थी बनने के लिए तैयार हैं, जो उनके उत्पादों के लिए प्रीमियम ब्रिटिश बाज़ारों को खोलेगा। इससे उन्हें जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य यूरोपीय संघ के देशों के निर्यातकों को पहले से मिल रहे लाभ के बराबर या उससे भी फायदा मिलेगा।’’

करीब 95 प्रतिशत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य शुल्क लाइन में फलों, सब्जियों, अनाज; अचार, मसाला मिश्रण, फलों के गूदे; और तैयार भोजन और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।

इससे ब्रिटिश बाज़ार में इन भारतीय उत्पादों की पहुंच लागत में कमी आएगी, जिससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और घरेलू किसानों की आय में वृद्धि होगी।

अधिकारी ने कहा, ‘‘शुल्क-मुक्त पहुंच से अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो वर्ष 2030 तक भारत के 100 अरब डॉलर के कृषि-निर्यात के लक्ष्य में योगदान देगा।’’

एफटीए कटहल, बाजरा और जैविक जड़ी-बूटियों जैसे उभरते उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा देगा।

नीली अर्थव्यवस्था के लाभ के संदर्भ में, एफटीए झींगा, टूना, मछली का भोजन और चारे सहित 99 प्रतिशत निर्यात के लिए शून्य-शुल्क पहुंच प्रदान करता है। वर्तमान में इन पर 4.2-8.5 प्रतिशत की सीमा में कर लगाया जाता है।

अधिकारी ने बताया, ‘‘ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री आयात बाजार के बावजूद, भारत की हिस्सेदारी केवल 2.25 प्रतिशत है, जो एक महत्वपूर्ण अप्रयुक्त निर्यात अवसर को रेखांकित करता है।’’

एफटीए भारत के उच्च-मार्जिन वाले ब्रांडेड उत्पादों जैसे कॉफ़ी, मसाले, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में भी मदद करेगा।

अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन, भारत की कॉफ़ी का 1.7 प्रतिशत उपभोग करता है, और शुल्क-मुक्त पहुंच से भारतीय इंस्टेंट कॉफ़ी को जर्मनी और स्पेन जैसे यूरोपीय संघ के निर्यातकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।

ब्रिटेन, भारतीय चाय (5.6 प्रतिशत) का एक प्रमुख खरीदार है, जबकि मसालों की हिस्सेदारी 2.9 प्रतिशत है। शून्य शुल्क देश की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगा।

अधिकारी ने कहा, ‘‘गोवा की फेनी, नासिक की विशिष्ट वाइन और केरल की ताड़ी जैसे भारतीय पेय अब भौगोलिक संकेतक (जीआई) सुरक्षा के साथ ब्रिटेन के बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाएंगे।’’

एफटीए से भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मदद मिलेगी। भारत प्रति वर्ष वैश्विक स्तर पर 14.07 अरब डॉलर के प्रसंस्कृत कृषि और खाद्य उत्पादों का निर्यात करता है। ब्रिटेन 50.68 अरब डॉलर मूल्य की प्रसंस्कृत वस्तुओं का आयात करता है, लेकिन भारतीय उत्पादों का आयात केवल 30.95 करोड़ डॉलर का ही है।

देश के विभिन्न राज्यों के किसानों को एफटीए से लाभ होने की संभावना है। प्रमुख लाभार्थी महाराष्ट्र (अंगूर, प्याज), गुजरात (मूंगफली, कपास), पंजाब और हरियाणा (बासमती चावल), केरल (मसाले), और पूर्वोत्तर राज्य (बागवानी) हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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