अगरतला, 24 जुलाई (भाषा) वरिष्ठ वामपंथी नेता माणिक सरकार ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी कि यदि निर्वाचन आयोग बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान में सफल होता है, तो इसी तरह की कवायद पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल में भी हो सकती है, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के दिग्गज नेता सरकार ने यहां आयोजित पार्टी की एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि एसआईआर प्रक्रिया अचानक शुरू की गई, जबकि स्थापित परंपरा के अनुसार मतदाता सूची का नियमित संशोधन जनवरी 2024 में पूरा हो जाना था।
उन्होंने कहा, ‘‘एसआईआर का उद्देश्य उन लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाना है जो भारतीय नहीं हैं। लेकिन निर्वाचन आयोग के पास नागरिकता निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है। इस प्रक्रिया में उसकी भूमिका संविधान की भावना के विरुद्ध है।’’
माणिक सरकार ने मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में लगभग 52 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं जिनमें अधिकतर अल्पसंख्यक, दलित, ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) और महिलाएं हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा जानती है कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में उसकी स्थिति कमजोर है। उसे पता है कि इन समुदायों के लोग उन्हें वोट नहीं देंगे। इसीलिए भगवा ब्रिगेड मतदाता सूची से उनके नाम हटाने की कोशिश कर रही है।’’
माकपा नेता ने कहा, ‘‘यदि निर्वाचन आयोग बिहार में जारी एसआईआर प्रक्रिया में बिना किसी विरोध या प्रतिरोध के सफल हो जाता है, तो ऐसा ही उन राज्यों में भी किया जाएगा जहां अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं।’’
भाषा धीरज शफीक
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