नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की कार्यकारी परिषद ने बृहस्पतिवार को एक लंबे विवाद को खत्म करते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रघुराम अय्यर की नियुक्ति को मंजूरी दे दी और डोपिंग से निपटने के लिए एक पैनल का गठन किया।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद (आईओसी) ने 2036 ओलंपिक की दावेदारी के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे के दौरान डोपिंग में देश के खराब रिकॉर्ड पर चिंता जताई थी, इसलिए इससे निपटना काफी अहम है।
कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने जनवरी 2024 में अध्यक्ष पीटी उषा द्वारा की गई अय्यर की नियुक्ति को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था जिसका मुख्य कारण उनका 20 लाख रुपये प्रति माह का वेतन और अन्य भत्ते थे।
हालांकि खेल मंत्री मनसुख मांडविया के हस्तक्षेप के बाद इस संबंध में मतभेद सुलझ गए जिससे अय्यर की औपचारिक नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया।
वहीं सात सदस्यीय डोपिंग रोधी पैनल की अगुआई पूर्व टेनिस खिलाड़ी रोहित राजपाल करेंगे और इसमें अपर्णा पोपट तथा खेल चिकित्सा विशेषज्ञ पीएसएम चंद्रन सहित अन्य लोग शामिल होंगे।
अय्यर आईओए कार्यकारी परिषद सदस्यों और उषा द्वारा संयुक्त रूप से कराई गई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मौजूद थे, उन्होंने कहा, ‘‘आईओए (प्रतिनिधिमंडल) के लुसाने दौरे के दौरान आईओसी ने भारत में डोपिंग के बढ़ते मामलों का जिक्र किया था। ’’
पिछले महीने लुसाने गए आईओए प्रतिनिधिमंडल में खेल सचिव हरि रंजन राव, उषा और गुजरात के खेल मंत्री हर्ष सांघवी समेत अन्य लोग शामिल थे। भारत अहमदाबाद में 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए दावेदारी पेश कर रहा है।
भारत पिछले महीने विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी के 2023 के जांच आंकड़ों में उन देशों में शीर्ष पर रहा था जिन्होंने 5,000 या उससे ज्यादा नमूनों की जांच कराई थी जबकि इसमें प्रतिबंधित पदार्थों का प्रतिशत 3.8 दर्ज किया गया था।
काफी समय तक विरोध के बाद आईओए ने बुधवार को संसद में पेश किए गए नए खेल विधेयक का आखिरकार स्वागत किया।
उषा ने कहा, ‘‘आईओसी दो-तीन मुद्दों को लेकर चिंतित था। लेकिन मंत्रालय ने विश्व संस्था और अन्य अंतरराष्ट्रीय महासंघों से परामर्श किया जिसके बाद विधेयक को मंजूरी दे दी गई। ’’
विधेयक के अधिनियम बनने के बाद एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड की स्थापना होगी जो राष्ट्रीय महासंघों को मान्यता देने और उनके वित्तपोषण को विनियमित करने के लिए अधिकृत होगा।
आईओए के संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने कहा, ‘‘नए राष्ट्रीय खेल विधेयक को खेल मंत्रालय के हस्तक्षेप के रूप में नहीं बल्कि आईओए और एनएसएफ (राष्ट्रीय खेल महासंघों) सहित हितधारकों के साथ सहयोग और समन्वय के रूप में देखा जाना चाहिए। ’’
चौबे अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘नए विधेयक में यह स्पष्ट कहा गया है कि जब भी किसी प्रावधान में अंतरराष्ट्रीय महासंघों के नियमों के साथ टकराव होगा तो अंतरराष्ट्रीय महासंघों के नियम ही मान्य होंगे। ’’
भाषा नमिता पंत
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