पणजी, 24 जुलाई (भाषा) गोवा विधानसभा ने अदालतों के अधिकार क्षेत्र का निर्धारण करने के लिए दीवानी मुकदमों विशेष रूप से भूमि से संबंधित मुकदमों के मूल्यांकन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और खूंखार घोषित किए गए जानवरों के प्रजनन और पालन पर रोक लगाने संबंधी विधेयक पारित किया है।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने मुकदमों के मूल्यांकन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने संबंधी विधेयक बुधवार को सदन में पारित होने के अवसर पर कहा कि ‘गोवा वाद मूल्यांकन विधेयक, 2025’ राज्य सरकार को उच्च न्यायालय के परामर्श से विभिन्न क्षेत्रों में भूमि मूल्य निर्धारण के उद्देश्य से नियम बनाने का अधिकार देता है।
उन्होंने कहा कि अधिकार क्षेत्र और शुल्कों से संबंधित विवादों और भ्रम को कम करने के लिए मूल्यांकन में एकरूपता आवश्यक है।
मुख्यमंत्री सावंत द्वारा सदन में प्रस्तुत यह विधेयक, मूल्यांकन प्रक्रिया को हाल ही में पारित गोवा न्यायालय शुल्क अधिनियम, 2024 के अनुरूप बनाने का प्रयास करता है और यह गोवा वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1965 का स्थान लेगा।
गोवा विधानसभा ने खूंखार घोषित किए गए जानवरों के प्रजनन और पालतू बनाने पर रोक लगाने संबंधी एक और विधेयक बुधवार को पारित किया जिसमें ऐसे पशुओं के हमलों की स्थिति में मुआवजे और उल्लंघन के आरोप में तीन महीने तक की कैद की सजा का प्रावधान है।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि राज्य में ‘पिटबुल’ और ‘रॉटवीलर’ जैसी खूंखार नस्ल के कुत्तों द्वारा बच्चों को काटने के मामले सामने आने के बाद ‘गोवा पशु प्रजनन और पालन (विनियमन और मुआवजा) विधेयक, 2025’ पेश किया गया है।
विपक्ष के नेता यूरी अलेमाओ, गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विधायक विजय सरदेसाई और कांग्रेस विधायक कार्लोस अल्वारेस फरेरा सहित विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पर विस्तृत चर्चा की मांग की, लेकिन सावंत ने इसका बचाव करते हुए कहा कि इसे राज्य के लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाया गया है।
बुधवार को सदन द्वारा पारित यह विधेयक राज्य सरकार को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना जारी करके किसी भी नस्ल या वर्ग के जानवरों को खूंखार घोषित करने का अधिकार देता है।
भाषा सुरभि नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.