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Tuesday, 22 July, 2025
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मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में बरी व्यक्ति ने एसआईटी से दोबारा जांच कराने की मांग की

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मुंबई, 22 जुलाई (भाषा) मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में विशेष अदालत द्वारा 2015 में बरी किए गए एकमात्र व्यक्ति अब्दुल वाहिद शेख ने मंगलवार को मामले की फिर से जांच के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की।

मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी करने के आदेश के एक दिन बाद शेख ने यह मांग की है। न्यायायल ने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है।

सिलसिलेवार बम विस्फोटों के आरोप में महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा शेख को गिरफ्तार किए जाने के नौ साल बाद 2015 में विशेष अदालत ने उन्हें (शेख को) सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था।

इस मामले में अदालत ने 12 दोषियों में से पांच को मौत की सज़ा सुनाई थी जबकि सात को आजीवन कारावास की सजा के आदेश दिए थे। मौत की सजा पाए एक दोषी की 2021 में मौत हो गई थी।

सोमवार को उच्च न्यायालय ने सभी 12 आरोपियों को रिहा कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और ‘यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने अपराध किया है।’

पेशे से शिक्षक शेख एटीएस द्वारा 12 लोगों पर किए गए अत्याचारों को लेकर मुखर रहे हैं। उन्होंने जेल में रहते हुए ‘बेगुनाह कैदी’ नाम की एक किताब लिखी थी।

शेख ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सरकार को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर मामले की फिर से जांच करानी चाहिए ताकि ट्रेन बम विस्फोट के असली अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा सके।’’

उनकी अन्य मांगों में एटीएस द्वारा जांच में हुई चूक के लिए माफी मांगना, निर्दोष होने के बावजूद 19 साल जेल में बिताने वाले 12 लोगों को 19 करोड़ रुपये का मुआवजा देना, उनके लिए सरकारी नौकरी और मकान देना शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि बहुत देर हुई, लेकिन इन लोगों को आखिरकार न्याय मिला। उच्च न्यायालय के फैसले ने एटीएस के झूठ को उजागर कर दिया।’’

पश्चिमी लाइन पर 11 जुलाई 2006 को विभिन्न स्थानों में मुंबई लोकल ट्रेन में हुए सिलसिलेवार विस्फोट में मारे गए पीड़ितों के परिजनों के प्रति शेख ने सहानुभूति व्यक्त की और उनके लिए न्याय की मांग की। इन विस्फोट में 180 से अधिक लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए थे।

उन्होंने ट्रेन बम विस्फोट मामले के जांच अधिकारियों में से एक दिवंगत सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) विनोद भट्ट को याद किया।

अपनी पुस्तक में शेख ने दावा किया था कि भट्ट को आरोपियों के खिलाफ सबूत गढ़ने और झूठे गवाह बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा था।

उन्होंने दावा किया, ‘‘आज एसीपी की आत्मा खुश होगी। उन्होंने निर्दोष लोगों को फंसाने के दबाव के कारण अगस्त 2006 में उसी रेलवे ट्रैक पर अपनी जान दे दी थी, जहां बम विस्फोट हुए थे।’’

शेख ने कहा कि दादर रेलवे पुलिस थाने में आत्महत्या को दुर्घटनावश मौत के रूप में दर्ज किया गया था।

भाषा यासिर पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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