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Monday, 21 July, 2025
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ASI और पुरातत्वविद के बीच विवाद पर मोदी सरकार का जवाब: कीलाडी खुदाई रिपोर्ट की समीक्षा जारी

संसद में शेखावत ने कहा कि 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व की खुदाई पर ASI नियमों के अनुसार काम कर रहा है, रिपोर्ट अभी अंतिम नहीं. रिपोर्ट बदलवाने के आरोपों के बीच तमिल विरासत को दबाने की कोशिश का सवाल उठाया गया.

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नई दिल्ली: कीलाडी खुदाई रिपोर्ट पर पहली बार संसद में बोलते हुए मोदी सरकार ने सोमवार को कहा कि किसी भी रिपोर्ट को खारिज करने का सवाल ही नहीं उठता और 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व की इस बस्ती में हुई खुदाई से जुड़ी खोजों पर कानूनी और वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत काम हो रहा है.

केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में बताया, “भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) पूरी तरह से कानून और वैज्ञानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए कीलाडी की खुदाई के निष्कर्षों के आधार पर सटीक जानकारी जारी करने के लिए प्रतिबद्ध है.”

कीलाडी खुदाई रिपोर्ट को लेकर विवाद इस समय चर्चा में है, जिसमें ASI और तमिलनाडु सरकार आमने-सामने हैं. आरोप हैं कि केंद्र सरकार रिपोर्ट में राजनीतिक दखल दे रही है और तमिल विरासत को दबाने की कोशिश की जा रही है.

ASI ने वरिष्ठ पुरातत्वविद अमरनाथ रामकृष्ण द्वारा सौंपे गए रिपोर्ट में बदलाव की मांग की थी. अमरनाथ, जिन्होंने शुरुआती खुदाई का नेतृत्व किया था, उन्होंने इसमें बदलाव करने से इनकार कर दिया, जिससे यह विवाद और गहरा गया.

तमिलनाडु के पुरातत्व मंत्री ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार तमिलों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है, जबकि केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने कहा कि और अधिक वैज्ञानिक अध्ययन की ज़रूरत है.

कीलाडी, जो मदुरै के पास स्थित है, एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है जहां से 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व की संगठित शहरी बस्ती के प्रमाण मिले हैं — ये समय इससे पहले मानी गई तारीखों से भी पुराना हो सकता है.

खुदाई में मिली चीज़ों में तमिल ब्राह्मी लिपि के साथ मिट्टी के बर्तन, साक्षर समाज के संकेत और शहरी नियोजन प्रणाली के प्रमाण शामिल हैं.

इन खोजों को तमिल सभ्यता और भारत की प्राचीन संस्कृति की समृद्ध विरासत से जोड़कर देखा जा रहा है.

लोकसभा में तमिलनाडु से सांसद टी. सुमति उर्फ तमिलाची थंगपांडियन ने कीलाडी खुदाई रिपोर्ट को लेकर सवाल उठाया कि ASI ने अमरनाथ रामकृष्ण की रिपोर्ट को खारिज करने के पीछे कौन-कौन सी खास खामियां बताईं?

इसके जवाब में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जब खुदाई रिपोर्ट तैयार होती है तो संबंधित विशेषज्ञों की राय और खुदाई करने वाले प्रमुख पुरातत्वविद की सहमति के साथ अंतिम निष्कर्ष शामिल किए जाते हैं.

उन्होंने कहा, “कीलाडी की खुदाई ASI की देखरेख में हुई है और प्रमुख पुरातत्वविद की रिपोर्ट फिलहाल समीक्षा में है.”

उन्होंने यह भी बताया कि विशेषज्ञों की टिप्पणियां प्रमुख पुरातत्वविद (रामकृष्ण) के साथ साझा की गई हैं, लेकिन उन्हें अब तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

कीलाडी म्यूज़ियम में लगाए गए तमिलनाडु के प्रमुख खुदाई स्थलों का नक्शा | फोटो: प्रभाकर तमिलारासु/दिप्रिंट
कीलाडी म्यूज़ियम में लगाए गए तमिलनाडु के प्रमुख खुदाई स्थलों का नक्शा | फोटो: प्रभाकर तमिलारासु/दिप्रिंट

रिपोर्ट खारिज होने के कुछ हफ्तों बाद, ASI ने स्पष्टीकरण दिया कि खुदाईकर्ताओं द्वारा जमा की गई रिपोर्टों को अलग-अलग विषय विशेषज्ञों के पास भेजा जाता है, ताकि वे प्रकाशन से पहले उसकी समीक्षा कर सकें.

ASI ने कहा, “विषय विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए बदलाव खुदाईकर्ता करते हैं और रिपोर्ट को फिर से प्रकाशन के लिए जमा किया जाता है. इसके बाद इसे ‘मैमॉयर ऑफ आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (MASI)’ के रूप में प्रकाशित किया जाता है.”

उन्होंने यह भी बताया कि कीलाडी खुदाईकर्ता रामकृष्ण को विशेषज्ञों की टिप्पणियां भेज दी गई थीं ताकि वह रिपोर्ट में ज़रूरी सुधार कर सकें, लेकिन उन्होंने ये सुधार नहीं किए.


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‘गायब जानकारियां’

अमरनाथ रामकृष्ण को ASI में अपने 21 साल की सेवा के दौरान अब तक 12 बार तबादला किया जा चुका है. जून में उनका तबादला उस रिपोर्ट के खारिज होने के ठीक एक महीने बाद किया गया, जिसे उन्होंने कीलाडी खुदाई को लेकर तैयार किया था.

982 पन्नों की इस रिपोर्ट में रामकृष्ण ने कीलाडी को तीन कालखंडों में बांटा था: पूर्व-प्रारंभिक ऐतिहासिक काल (ईसा पूर्व 8वीं सदी से 5वीं सदी), परिपक्व प्रारंभिक ऐतिहासिक काल (ईसा पूर्व 5वीं सदी से 1वीं सदी), प्रारंभिक ऐतिहासिक काल के बाद का समय (ईसा पूर्व 1वीं सदी से ईसा पश्चात 3री सदी).

लेकिन संसद में दिए गए जवाब में कहा गया कि विशेषज्ञों के सुझाव के अनुसार इन तीनों कालों की नामावली बदलनी चाहिए और प्रथम काल के लिए 8वीं सदी ईसा पूर्व से 5वीं सदी ईसा पूर्व का समय-सीमा उचित नहीं है.

सरकारी जवाब में यह भी कहा गया कि रामकृष्ण की रिपोर्ट में कुछ ज़रूरी जानकारियां गायब हैं, जैसे — गांव का नक्शा फिर से बनाना होगा, कंटूर मैप (ऊंचाई-नीचाई का नक्शा) और ग्रैफिटी (शिलालेख/चिह्नों) की तस्वीरें नहीं दी गईं.

रामकृष्ण की रिपोर्ट को खारिज किए जाने के बाद तमिलनाडु में भारी राजनीतिक विरोध हुआ.

मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और डीएमके समेत कई नेताओं ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए.

स्टालिन ने कहा, “कीलाडी सिर्फ मिट्टी और बर्तनों की खुदाई नहीं है, यह एक 3,000 साल पुरानी तमिल सभ्यता का आईना है — जो शहरी, साक्षर और समृद्ध थी, गंगा घाटी की कथाओं से बहुत पहले.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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