नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र सोमवार को जोरदार हंगामे के साथ शुरू हुआ, जहां विपक्ष ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार पर दो मोर्चों से हमला बोला.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तुरंत बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने का दावा देश के लिए “अपमानजनक” है. खरगे ने यह भी सवाल उठाया कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकियों को अब तक क्यों नहीं पकड़ा गया.
इधर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है और उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा.
जैसे ही सत्र के पहले दिन दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसद वेल में पहुंच गए और नरेंद्र मोदी सरकार से कई मुद्दों पर जवाब मांगा. इसके साथ ही उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की मांग की.
हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही तीन बार और राज्यसभा की कार्यवाही एक बार स्थगित करनी पड़ी.
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि बीजेपी सांसद समिक भट्टाचार्य द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के लिए दिया गया नोटिस स्वीकार कर लिया गया है. इस पर चर्चा की तारीख और समय बिजनेस एडवाइजरी कमिटी (BAC) की बैठक में तय होगा.
उन्होंने कहा कि कई सांसदों ने नियम 267 के तहत कार्यवाही स्थगित कर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन उन्हें स्वीकार नहीं किया गया. हालांकि, उन्होंने खरगे को इस विषय पर बोलने की अनुमति दी.
पहलगाम हमले को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए खरगे ने पूछा, “22 अप्रैल को हुए हमले के बाद अब तक कोई भी आतंकी पकड़ा या मारा क्यों नहीं गया? और अमेरिकी राष्ट्रपति यह दावा कैसे कर सकते हैं कि उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान शांति स्थापित करवाई?”
खरगे ने कहा, “हमने राष्ट्रीय हित और सेना के समर्थन में सरकार का बिना सवाल किए साथ दिया, लेकिन सरकार ने संसद में कोई जवाब नहीं दिया. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल खुद कह चुके हैं कि पहलगाम में खुफिया चूक हुई. सेना प्रमुख और डिफेंस अटैच भी संवेदनशील जानकारियाँ दे चुके हैं. हमें जवाब चाहिए.”
उन्होंने आगे कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति अब तक 24 बार कह चुके हैं कि उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति करवाई. कोई बाहरी व्यक्ति ऐसा दावा कैसे कर सकता है? ये देश का अपमान है. सरकार ने देश की गरिमा से समझौता क्यों किया?”
वहीं सदन के नेता जे.पी. नड्डा ने कहा कि सरकार दोनों मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, “ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि सदन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है. यह आज़ादी के बाद की सबसे बड़ी उपलब्धि है.”
केंद्रीय मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सदन की कार्यवाही में वही दर्ज होगा जो उन्होंने कहा है और कुछ नहीं.
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लोकसभा में विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
लोकसभा में भी संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सरकार की ओर से चर्चा को लेकर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है और इस पर एजेंडा बिजनेस एडवाइजरी कमिटी (BAC) की बैठक में तय किया जाएगा.
BAC की बैठक में लोकसभा को 16 घंटे और राज्यसभा को 9 घंटे चर्चा के लिए दिए गए हैं. चर्चा अगले हफ्ते हो सकती है. रिजिजू ने कहा, “सरकार चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्षी सांसद यहां विरोध कर रहे हैं. मानसून सत्र के पहले दिन इस तरह का विरोध सही नहीं है.”
लेकिन जैसे ही विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद की विदेश नीति पर प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की, हंगामा बढ़ गया और सदन की कार्यवाही बिना तय समय के स्थगित करनी पड़ी.
स्पीकर ओम बिरला ने भी अपील की, कि सदन को नियमों के तहत चलने दिया जाए, लेकिन विपक्षी सांसद नहीं माने. उन्होंने वेल में पोस्टर और तख्तियों के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताई, लेकिन प्रदर्शन जारी रहा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कोशिश की सदस्यों को शांत करने की और कहा कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन संसद के बाहर मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया गया. गांधी ने कहा, “रक्षा मंत्री को बोलने दिया गया, सरकार के बाकी सांसद भी बोले, लेकिन मुझे नहीं.”
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी राहुल का साथ दिया और सवाल उठाया कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को बोलने की इज़ाज़त क्यों नहीं दी गई.
जहां सत्र का पहला दिन गरम माहौल में शुरू हुआ, वहीं बीजेपी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सरकार की रणनीति ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को ‘विजय उत्सव’ की तरह मनाने की है — जैसा कि सत्र से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने इशारा भी किया.
सत्र शुरू होने से पहले मीडिया से बातचीत में मोदी ने कहा, “यह मानसून सत्र विजय उत्सव है. पूरी दुनिया ने भारतीय सेना की ताकत देखी है. ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सौ फीसदी सफलता के साथ पूरा हुआ. सिर्फ 22 मिनट में हमारी सेना ने आतंकियों को उनके ठिकानों पर खत्म कर दिया.”
हालांकि, सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में की गई इस कार्रवाई पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, विपक्ष का मकसद ट्रंप के कथित हस्तक्षेप को लेकर सरकार को घेरना है.
विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री खुद सदन में मौजूद रहें जब ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो, जबकि उन्हें इस हफ्ते मालदीव और ब्रिटेन दौरे पर जाना है. अब तक सरकार ने यह साफ नहीं किया है कि चर्चा के समय मोदी सदन में होंगे या नहीं.
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