(प्रसून श्रीवास्तव)
नयी दिल्ली, 20 जुलाई (भाषा) भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) दो महीने बाद चरणबद्ध तरीके से विद्यालयों के माध्यम से बच्चों के ‘बायोमेट्रिक अपडेट’ शुरू करने की परियोजना पर काम कर रहा है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।
प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भुवनेश कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सात करोड़ से ज्यादा बच्चों ने ‘आधार’ के लिए अपने ‘बायोमेट्रिक अपडेट’ नहीं किए हैं।
पांच साल की आयु के होने के बाद यह प्रक्रिया करना अनिवार्य है।
कुमार ने कहा, “यूआईडीएआई, विद्यालयों के जरिये अभिभावकों की सहमति से बच्चों के ‘बायोमेट्रिक अपडेट’ करने की परियोजना पर काम कर रहा है। हम इस समय इस प्रौद्योगिकी का परीक्षण रहे हैं और यह 45 से 60 दिनों में तैयार हो जाएगी।”
बच्चों के ‘बायोमेट्रिक’ डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए अनिवार्य ‘बायोमेट्रिक अपडेट’ का समय पर पूरा होना एक अनिवार्य आवश्यकता है।
अगर सात वर्ष की आयु के बाद भी अपडेट नहीं किया जाता है तो मौजूदा नियमों के अनुसार, आधार संख्या निष्क्रिय की जा सकती है।
यह अपडेट यदि पांच से सात वर्ष की आयु के बीच किया जाता है, तो निःशुल्क है लेकिन सात वर्ष की आयु के बाद अपडेट के लिए 100 रुपये का शुल्क निर्धारित है।
इसका उद्देश्य स्कूल में दाखिला, प्रवेश परीक्षाओं के लिए पंजीकरण, छात्रवृत्ति का लाभ उठाने, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजनाओं आदि जैसी सेवाओं का लाभ (जहां भी लागू हो) उठाने में आधार के निर्बाध उपयोग को सुनिश्चित करना है।
कुमार ने कहा, “हम विद्यालयों और कॉलेजों में दूसरी अपडेट प्रक्रिया लागू करने की योजना बना रहे हैं, जो बच्चों के 15 साल की उम्र पूरी करने के बाद की जाती है।”
फिलहाल, नवजात शिशुओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों का आधार उनके ‘बायोमेट्रिक’ के बिना ही बनाया जाता है।
कुमार ने कहा, “कई सरकारी योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए आधार बेहद जरूरी है। हम चाहते हैं कि बच्चों को सभी लाभ सही समय पर मिलें। विद्यालयों के जरिए, हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक सुविधा को पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।”
इस परियोजना के तहत, यूआईडीएआई हर जिले में बायोमेट्रिक मशीनें भेजेगा, जिन्हें एक स्कूल से दूसरे स्कूल में ले जाया जाएगा।
भाषा जितेंद्र सुभाष
सुभाष
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